सभी को राख होना है।

 बचा जिसमें नहीं मादा, हुआ बेघर वही घर से।


उसे सूझे नहीं रस्ता, खिसकती डोर जब कर से।


यहाँ जो छोड़कर डरना, समुंदर में नहीं उतरे_


उसे मिलता नहीं मोती, डरे जो मौत के डर से।

सभी जानें यहाँ सच को, सभी को राख होना है।


सदा रहता नहीं कोई, सभी को खाक होना है।


हमेशा ही अड़े आगे, हमारे कर्म का लेखा_


बुराई छोड़कर सारी, हमें अब पाक होना है।


🕉️✍️ जगबीर कौशिक🙏🕉️


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