मन का दीप

_____

मन मंदिर का दीप न जलाएं, बाहर दीप जलाते हो। 

अंधकार है अपने मन मंदिर में, बाहर ज्योति दिखाते हो।।


दीप जलाने का शाब्दिक अर्थ यह है ,की आपके अंदर खुशी विराजमान है।आपको किसी प्रकार का गम नहीं है ।आप शांति सुख समृद्धि से परिपूर्ण है। आप सकारात्मक विचार धाराओं से परिपूर्ण है। सकारात्मक विचारधारा की रोशनी आपके अंदर जब फैलती है, तब नकारात्मकता रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है या मिट जाता है। दीप सकारात्मक विचार का सूचक है। हमारे पूर्वज इतने दूरदर्शी, प्रियदर्शी और समदर्शी थे ,कि वे

 समझ गए थे, हमारे आगे आने वाली पीढ़ी आपस में टकराएगी। अपने स्वार्थ में, अपने अहंकार में मानवता का विनाश हो जाएगा। और अपनी नकारात्मक विचार धाराओं से मानव जगत और प्राणी जगत पर एक दुष्प्रभाव चक्र का बीजारोपण होने की संभावना बन जाएगी ।इसलिए हमारे पूर्वजों ने दीप सकारात्मक विचारधारा को प्रतीक मानते हुए मानवता का अस्तित्व को कायम करने के लिए ,दीप जलाने और एक होकर भावनाओं की माला पीरोए ,एक साथ होकर प्राणी जगत एवं मनावता को बचाने का संदेश दिया ।अवर समझाया कि जिस तरह एक छोटा दीप अंधकार को मिटा देता है ।उसी तरह छोटा सकारात्मक विचार नकारात्मक विचार को समाप्त कर देता है ।यदि यह छोटे-छोटे दीप, दीपमाला का रूप ले ले तो बड़ा से बड़ा नकारात्मकता रूपी अंधकार समाप्त हो जाएगा। यह  हमारे पूर्वजों की आत्मा की आवाज है। उनका यह एक संदेश है। अपने अंदर फैला नकारात्मक अन्धकार स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, लालच को हम नम्रता, सहयोग, त्याग, दया, क्षमा ,और अपनी आत्मिक भावनाओं का सकारात्मक दीप जला कर मिटा सकते हैं।

यहां एक बात और मैं कहना चाहूंगा की दीप जलाने का अर्थ विजय को प्राप्त करना है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दीप जलाना और दीपों की माला बनाना स्वछता ,सद्भावना और प्रेम का प्रतीक है।

व०च०_दीनानाथ

मु०+पो०_रूपसागर, बक्सर

 आचार्य श्री का पद पदारोहण दिवस भक्तिभाव से मनाया

---------------------------------------------------

श्री दिगम्बर जैन महासमिति एवं महिला एवम युवामहिला संभाग अजमेर द्वारा वर्तमान के वर्धमान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का आचार्य पद पदारोहण दिवस बहुत ही भक्तिभाव एवम हर्षोल्लास से मनाया गया

युवामहिला संभाग अध्यक्ष श्रीमती मधु पाटनी  व श्री दिगंबर जैन महासमिति के महामंत्री कमल गंगवाल ने बताया कि

अजमेर संभाग द्वारा सकल दिगम्बर जैन समाज की सामूहिक प्रभात फेरी प्रातः 8 बजे से समिति की पार्श्वनाथ कॉलोनी इकाई (महावीर सर्कल) व जैन धर्मावलंबियों के संयोजन में कीर्ति स्तंभ से प्रारम्भ की गई जो अजमेर के विभिन्न मार्गों से होती हुई सोनी जी की नसिया पहुची

सभी सदस्यो के हाथ मे जैन झंडे व तख्तियां थी जिसमे आचार्य श्री के द्वारा दी गई प्रेरणा का उल्लेख अंकित था इस अवसर पर सभी ने आचार्य श्री जयवंत हो व मा का लाल कैसा हो मुनि विद्यासागर जैसा हो जैसे अनेको नारो से वातावरण को गुंजानमाय कर दिया

 इससे पूर्व कीर्त्ति स्तंभ पर आचार्य श्री के छाया चित्र के सम्मुख आरती की गई  

तत्पश्चात समिति कोषाध्यक्ष  श्रीयांश जी पाटनी व अनिता जी पाटनी के संयोजन में सोनी जी नसिया में सामूहिक रूप से गुरुवर की अष्ट द्रव्यों से भव्य पूजन भक्तिभाव से किया गया एवम भजनों पर महिला सदस्याओं ने भावविभोर होकर भक्ति की

श्री दिगंबर जैन महासमिति के अध्यक्ष अतुल पाटनी व प्रवक्ता संजय कुमार जैन  ने बताया कि इस अवसर पर समिति की सभी सदस्याएं समिति की नई साड़ी धारण करके एवं पुरुषवर्ग कुर्ता पायजामा पहन कर  आये एवम कार्यक्रम को सफल बनाया

इस अवसर पर महिला संभाग अध्यक्ष श्रीमती शिखा बिलाला,संरक्षक श्रीमती निर्मला पांड्या,समाजश्रेष्ठी श्रीमती प्रतिभा सोनी,श्रीमती नवल छाबड़ा, श्रीमती पूनम बड़जात्या,श्रीमती रेणु पाटनी,श्रीमती लता जैन,श्रीमती मंजू गंगवाल,श्रीमती शशि बज,श्रीमती रिंकू कासलीवाल,श्रीमती इंद्रा कासलीवाल,श्रीमती अचला सिंघी,श्रीमती शशि गंगवाल,

श्रीमती शांता काला, सहित सौ जैन अनुयायी मौजूद रही


सम्मान व प्यार का भाव

  

 जूली की सास अक्सर बीमार रहती थी।  जूली उनकी  देखभाल करती थी। उन्हें समय से दवाई देना, और खाना खिलाने की जिम्मेदारी को भली भांति निभाती थी।यह सब उसके बच्चे देखते रहते थे । जब उसकी सास सो जाती थी , तब उन्हें वह चद्दर ओढा देती थी,और बच्चों से कहती थी कि, शोर मत मचाना, दादी सो रही है। यह सब बच्चों के दिमाग़ में बैठा गया था,कि सोयै इंसान को कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए। यह उन्हें समझ में आता था।रंजना बहुत ही मेहनती महिला थी। सारा दिन घर में काम करती रहती थी।  झाड़ू, पोछा, बर्तन, कपड़ा करते-करते कब समय निकल जाता था, उसे पता ही नहीं चलता था।  उसने बच्चों में दूसरों के प्रति प्यार सम्मान आदर व समर्पण की भावना कूट-कूट कर भरी थी ।बच्चे भी उसकी हर बात मानते थे। वे बहुत ही आज्ञाकारी थे। एक दिन प्रेस करते-करते रंजना को टेबल पर ही नींद आ गई। वह कपड़े को पकड़ कर हाथ में वही बैठे-बैठे टेबल पर सो गई ,तभी बच्चे खेलते हुए बाहर से आए, उन्होंने देखा मम्मी टेबल पर  थक कर सो गई है। यह देखकर 5 साल का छोटा बेटा दौड़ कर चद्दर ले आया और अपनी मां को ओढ़ाने की कोशिश करने लगा पर रंजना टेबल पर बैठी थी ,अतः उसका हाथ नहीं पहुंच पा रहा था ,तब उसे एक तरकीब सूझी,  दूसरी टेबल को खींच कर धीरे से  अपनी मां के समीप लाया, और उस पर चढ़कर ,अपनी मां को चद्दर ओढ़ाने की कोशिश करने लगा। इधर 3 साल की छोटी बेटी भी दौड़ कर एक कंबल ले आई।  जूली को एहसास हुआ कि बच्चों ने उसे चादर उढाई है, वह सोए सोए सोचने लगी कि मेरे बच्चे भी मेरा कितना ध्यान रखते हैं । मैं इन्हें हमेशा अच्छे संस्कारों से ही सिंचित करूंगी, इस तरह सोए सोए रंजना के मन में अपने बच्चों के प्रति  प्रेम उमड़ रहा था।। ।


शिक्षा

जैसे बीज हम बच्चों में बोएंगे वही पाएंगे ।

इसीलिए बच्चों में हमेशा प्रेम, समर्पण, त्याग ,आदर  अच्छी शिक्षा और व्यवहार के बीज ही बोने चाहिए। तभी अच्छे संस्कारों का पौधा हमारे घर आंगन में फलेगा और लहलहायेगा।।।

नीता गुप्ता

रायपुर छत्तीसगढ़

 🌹श्री दीपावली मुहूर्त🌹

---------------------------------

अमावस्या तिथि का प्रारम्भ- 4 नवम्बर को प्रातः 06:03 बजे से. 5 नवम्बर 2021 को प्रातः 02:44 बजे तक।


धनतेरस  2-11-21,मंगलवार

लक्ष्मीपूजन..

सुबह 9-36 से 11-41

शाम 7-31 से 9-11

------------------------------

रुपचतुर्दशी 3-11-21,बुधवार की रात्रि जाप साधना के लिए श्रेष्ठ है। आराध्य देव-देवी की अवश्य उपासना कीजिये।

-------------------------------

दीपावली दि.4-11-21,गुरुवार

    शारदापूजन मुहूर्त


वृश्चिक लग्न सुबह- 07:36 से 09:55तक  (श्रेष्ठ स्थिर लग्न)

         

दोपहर- 12-11 से 1-21

            3-31 से 4-51


 वृषभ लग्न  

शाम 06:10से 08:06 तक (श्रेष्ठ स्थिर मुहूर्त)


सिंहलग्न  रात्रि 12:42 से 02:58 तक (श्रेष्ठ स्थिर मुहूर्त)

--–---------------------------

नूतनवर्ष दि.5-11-21,शुक्रवार

गुरुदेव दर्शन मांगलिक सुनकर मुहूर्त कीजिये।

श्रेष्ठ मुहूर्त 8:51 से 9:51

------------------------------

   👉सौभाग्य ज्ञानपंचमी-लाभपंचमी

ज्ञान एवं श्री सरस्वतीदेवी की आराधना कीजिये।

 9-11-21, मंगलवार श्रेष्ठ मुहूर्त

सुबह 10:36 से 11:41

-------------------------------

✍️ज्योतिषाचार्य मंजुला जैन 9926506468

(जैन ज्योतिषाचार्य परिषद देहली जिला प्रवक्ता)

------------------------------

जैन धर्म के अनुसार दीपावली 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्माण दिवस के रूप में मनाई जाती है।

 अमावस्या के दिन भगवान महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

 जैन ग्रंथों के अनुसार भगवान महावीर ने दीपावली वाले दिन मोक्ष जाने से पहले अर्धरात्रि को आखिरी बार उपदेश दिया था , जिसे उतराध्ययन सूत्र के नाम से जाना जाता है।

 जैन धर्म में यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग व तपस्या के रूप में मनाया जाता है ।

श्री भगवान स्वामी की विशेष पूजा करके त्याग और तपस्या को याद करके तेरा तप आराधना भी करते हैं।

 जैन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। 

दीपावली अमावस्या के दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था ।

और श्री गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त होने की खुशी में दीप जलाकर रोशनी की जाती है, और मिठाई बांटकर खुशियां मनाई जाती है ।

दीपावली को महालक्ष्मी का पूजन कराया मध्य रात्रि में ही किया जाता है पौराणिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली की रात्रि को महानिशा कहते हैं । इस काल अवधि में आराधना करने से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।


 ज्योतिष गणना के अनुसार दीपावली के दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ग्रह तुला राशि में होते हैं 


तुला राशि का स्वामी शुक्र है जो कि सुख सौभाग्य का कारक है, इस समय पूजन करने से धन  की प्राप्ति होती है । और किया गया अनुष्ठान शीघ्र सफलता दायक एवं सिद्धिदायक होता है।


लग्न मुहूर्त

----------------


लक्ष्मी जी के दो स्वरूप हैं एक चंचला दूसरा स्थित लक्ष्मी । चल लक्ष्मी का प्रयोग तो प्रत्येक दिन होता रहता है, परंतु लक्ष्मी जी के स्थिर स्वरूप को प्राप्त करने के लिए धनत्रयोदशी से यम द्वितीया तक पूजा का विधान है ।

 वृषभ लग्न👇

शाम 06:10 से 08:06 तक

 वृषभ लग्न के स्वामी शुक्र है जो धन-धान्य, संपन्नता, ऐश्वर्य ,आनंद, गृहस्थ पालन के प्रतीक हैं।


 सिंह लग्न 👇

रात्रि 12:42 से 02:59 am तक

सिंह लग्न के स्वामी सूर्य है जो तेजोमय, प्रकाशमान ,अनुशासन ,

जीवरक्षा ,वनस्पति के उत्पादन के प्रतीक हैं ।


वृश्चिक लग्न 👇

07:36 से 09:55 प्रातः तक 


वृश्चिक लग्न के स्वामी मंगल शरीर सौष्ठव, निरोग, दीर्घायु, मनोबल ,आत्म बल, के प्रतीक हैं ।

इसीलिए स्थिर लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिए स्थिर लग्न में ही पूजा करने का विधान है ।

वृश्चिक लग्न दिन में आता है वह वृषभ सिंह लग्न रात्रि में आता है ।वृषभ लग्न में सूर्य साक्षात् नारायण रूप में होने से अर्ध रात्रि में पूजा करने का विशेष विधान है।


धनतेरस के जाप

धन पूजा, श्री यंत्र ,कुबेर यंत्र, अथवा सिद्ध चक्र यंत्र की पंचामृत पूजा करे, कमल पुष्प चढ़ाएं और मंत्र जप करें ।

ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्मी नमः 12 माला स्फटिक की गिनने  से दरिद्रता दूर होती है घर में सुख शांति की वृद्धि होती है।


कुबेर मन्त्र👇


ॐ ह्रीं कुबेराय धनदाय नमः जाप 1008 बार करें।


दीपावली के जाप👇

।। ॐ ह्रीं श्रीं महावीर स्वामी सर्वज्ञाय नमः।।

इस मंत्र की 20 माला मध्यरात्रि के समय गिनना चाहिए।


गौतमस्वामी का लब्धि मन्त्र👇


ॐ ह्रीं श्रीं अनन्त विधानाय गौतम गणधराय नमः मन्त्र जाप 12,500 बार करें।


ॐ ह्रीं श्रीं गौतमस्वामी केवलज्ञानाय नमः

इस मंत्र की 20 माला प्रातःकाल 4 बजे से गिने, बाद में प्रातःकाल गुरुदेव को वन्दन करे और उनके मुखारविंद से श्री गौतमस्वामी जी के रास को एकाग्रता पूर्वक श्रवण करे।

दीपावली के तीनों दिन मन्त्र जाप करने से इष्ट सिद्धि प्राप्ति एवं सर्वकार्य सिद्धि होती है।

विशेष- समस्त कार्य इष्टदेव एवं इष्ट मन्त्र जाप करके ही करें।श्रद्धा और विश्वास से करें।

✍️ज्योतिषाचार्या मंजुला जैन 


Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular