🌹श्री दीपावली मुहूर्त🌹

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अमावस्या तिथि का प्रारम्भ- 4 नवम्बर को प्रातः 06:03 बजे से. 5 नवम्बर 2021 को प्रातः 02:44 बजे तक।


धनतेरस  2-11-21,मंगलवार

लक्ष्मीपूजन..

सुबह 9-36 से 11-41

शाम 7-31 से 9-11

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रुपचतुर्दशी 3-11-21,बुधवार की रात्रि जाप साधना के लिए श्रेष्ठ है। आराध्य देव-देवी की अवश्य उपासना कीजिये।

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दीपावली दि.4-11-21,गुरुवार

    शारदापूजन मुहूर्त


वृश्चिक लग्न सुबह- 07:36 से 09:55तक  (श्रेष्ठ स्थिर लग्न)

         

दोपहर- 12-11 से 1-21

            3-31 से 4-51


 वृषभ लग्न  

शाम 06:10से 08:06 तक (श्रेष्ठ स्थिर मुहूर्त)


सिंहलग्न  रात्रि 12:42 से 02:58 तक (श्रेष्ठ स्थिर मुहूर्त)

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नूतनवर्ष दि.5-11-21,शुक्रवार

गुरुदेव दर्शन मांगलिक सुनकर मुहूर्त कीजिये।

श्रेष्ठ मुहूर्त 8:51 से 9:51

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   👉सौभाग्य ज्ञानपंचमी-लाभपंचमी

ज्ञान एवं श्री सरस्वतीदेवी की आराधना कीजिये।

 9-11-21, मंगलवार श्रेष्ठ मुहूर्त

सुबह 10:36 से 11:41

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✍️ज्योतिषाचार्य मंजुला जैन 9926506468

(जैन ज्योतिषाचार्य परिषद देहली जिला प्रवक्ता)

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जैन धर्म के अनुसार दीपावली 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्माण दिवस के रूप में मनाई जाती है।

 अमावस्या के दिन भगवान महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

 जैन ग्रंथों के अनुसार भगवान महावीर ने दीपावली वाले दिन मोक्ष जाने से पहले अर्धरात्रि को आखिरी बार उपदेश दिया था , जिसे उतराध्ययन सूत्र के नाम से जाना जाता है।

 जैन धर्म में यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग व तपस्या के रूप में मनाया जाता है ।

श्री भगवान स्वामी की विशेष पूजा करके त्याग और तपस्या को याद करके तेरा तप आराधना भी करते हैं।

 जैन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। 

दीपावली अमावस्या के दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था ।

और श्री गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त होने की खुशी में दीप जलाकर रोशनी की जाती है, और मिठाई बांटकर खुशियां मनाई जाती है ।

दीपावली को महालक्ष्मी का पूजन कराया मध्य रात्रि में ही किया जाता है पौराणिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली की रात्रि को महानिशा कहते हैं । इस काल अवधि में आराधना करने से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।


 ज्योतिष गणना के अनुसार दीपावली के दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ग्रह तुला राशि में होते हैं 


तुला राशि का स्वामी शुक्र है जो कि सुख सौभाग्य का कारक है, इस समय पूजन करने से धन  की प्राप्ति होती है । और किया गया अनुष्ठान शीघ्र सफलता दायक एवं सिद्धिदायक होता है।


लग्न मुहूर्त

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लक्ष्मी जी के दो स्वरूप हैं एक चंचला दूसरा स्थित लक्ष्मी । चल लक्ष्मी का प्रयोग तो प्रत्येक दिन होता रहता है, परंतु लक्ष्मी जी के स्थिर स्वरूप को प्राप्त करने के लिए धनत्रयोदशी से यम द्वितीया तक पूजा का विधान है ।

 वृषभ लग्न👇

शाम 06:10 से 08:06 तक

 वृषभ लग्न के स्वामी शुक्र है जो धन-धान्य, संपन्नता, ऐश्वर्य ,आनंद, गृहस्थ पालन के प्रतीक हैं।


 सिंह लग्न 👇

रात्रि 12:42 से 02:59 am तक

सिंह लग्न के स्वामी सूर्य है जो तेजोमय, प्रकाशमान ,अनुशासन ,

जीवरक्षा ,वनस्पति के उत्पादन के प्रतीक हैं ।


वृश्चिक लग्न 👇

07:36 से 09:55 प्रातः तक 


वृश्चिक लग्न के स्वामी मंगल शरीर सौष्ठव, निरोग, दीर्घायु, मनोबल ,आत्म बल, के प्रतीक हैं ।

इसीलिए स्थिर लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिए स्थिर लग्न में ही पूजा करने का विधान है ।

वृश्चिक लग्न दिन में आता है वह वृषभ सिंह लग्न रात्रि में आता है ।वृषभ लग्न में सूर्य साक्षात् नारायण रूप में होने से अर्ध रात्रि में पूजा करने का विशेष विधान है।


धनतेरस के जाप

धन पूजा, श्री यंत्र ,कुबेर यंत्र, अथवा सिद्ध चक्र यंत्र की पंचामृत पूजा करे, कमल पुष्प चढ़ाएं और मंत्र जप करें ।

ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री महालक्ष्मी नमः 12 माला स्फटिक की गिनने  से दरिद्रता दूर होती है घर में सुख शांति की वृद्धि होती है।


कुबेर मन्त्र👇


ॐ ह्रीं कुबेराय धनदाय नमः जाप 1008 बार करें।


दीपावली के जाप👇

।। ॐ ह्रीं श्रीं महावीर स्वामी सर्वज्ञाय नमः।।

इस मंत्र की 20 माला मध्यरात्रि के समय गिनना चाहिए।


गौतमस्वामी का लब्धि मन्त्र👇


ॐ ह्रीं श्रीं अनन्त विधानाय गौतम गणधराय नमः मन्त्र जाप 12,500 बार करें।


ॐ ह्रीं श्रीं गौतमस्वामी केवलज्ञानाय नमः

इस मंत्र की 20 माला प्रातःकाल 4 बजे से गिने, बाद में प्रातःकाल गुरुदेव को वन्दन करे और उनके मुखारविंद से श्री गौतमस्वामी जी के रास को एकाग्रता पूर्वक श्रवण करे।

दीपावली के तीनों दिन मन्त्र जाप करने से इष्ट सिद्धि प्राप्ति एवं सर्वकार्य सिद्धि होती है।

विशेष- समस्त कार्य इष्टदेव एवं इष्ट मन्त्र जाप करके ही करें।श्रद्धा और विश्वास से करें।

✍️ज्योतिषाचार्या मंजुला जैन 


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