मोक्ष प्राप्ति के साधक व वाधक तत्व
आध्यात्म जगत में मोक्ष का उल्लेख मिलता है | जीवन का लक्ष्य मोक्ष होना चाहिए | भौतिक व लक्ष्मी के वरण का लक्ष्य बना भी लिया तो कौनसा बड़ा काम कर लिया, यह नश्वर है वह इस जन्म के बाद साथ नहीं जाने वाला है | अतः हमें ६ मोक्ष के साधक तत्वों पर विचार कर उनका अनुसरण करना चाहिए | वे हैं - साध्य, साधन, साधु, साधना सिद्धि व सिद्ध | साध्य – मोक्ष, साधन – सम्यक दर्शन, ज्ञान व चारित्र, साधु – उनका पालन करने वाला, साधना मोक्ष की दिशा में होने वाला प्रस्थान, सिद्धि – लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्ध – मुक्त आत्मा | उसी प्रकार मोक्ष के कुछ वाधक तत्व भी हैं – चंडता, गुस्सा, आवेश | गुस्सा हमारी कमजोरी है, हार है इससे बचकर हमें शांति के पथ पर अग्रसर होना चाहिए | कम खायें, नम जायें | मस्त, स्वस्थ तथा प्रशस्त रहें | होठों को सीना सीखें | महान वह जो कठोर वचन सुनकर अधीर न हो व उसे पीना जानता है व मौन रहना भी | हर श्वास को देखें, जीना सीखें व शुभ भावों में प्रवृत हों तथा दीर्घ श्वास का अभ्यास भी करें | आचार्य महाप्रज्ञजी नें ध्यान के कई शिविर लगाये | गर्व व घमंड भी मोक्ष प्राप्ति में वाधक बन जाता है | हम चुगली आदि से बचकर आत्मानुशासन का जीवन जीयें व क्रमशः मोक्ष की ओर अग्रसर होते रहें |
प्रवचनकार – आचार्य महाश्रमण
स्थल – बीदासर
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