वास्तविकता
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नहीं दु:खों की कहीं थाह
ईश-भजन ही एक राह
"सुख-दुःख" जोड़े,
देन उसी की ।
हम सब भी हैं,
देन उसी की ।।
कटु सत्य का घूँट कड़वा,
सबको पीना ही पड़ता ।
इच्छानुसार ठीक उसी के,
वैसे ही जीना पड़ता ।।
गीतोपदेश रख ध्यान में,
हो जाओ उसके अर्पण ।
साये उसके ही पलता,
सृष्टि का सारा दर्पण ।।
एक एक पल उसी के हाथ
हरि-नाम हो सदा साथ
( बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज")
कोटा (राजस्थान)
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