जी हां मैं एक नारी हूं...,

 

बेटी हूं मैं भारत माता की  , दिव्य भारत की भव्य भारत की मैं एक नारी हूं।

कलियों जैसी कोमल हूं पर कोई कंटक बनकर आए तो चिंगारी हूं।

जी हां मैं एक नारी हूं।


साथ देना हैं तो दिजीए, वर्ना रहने दिजीए। 

बाधक ना बनिए मेरे पथ में , मुझे अपना काम करने दिजीए। 

मैं अपने पथ आगे बढती रहूंगी , हर बाधा से लडती रहूंगी।

हर चोंटी पर चढती रहूंगी , गीत खुशी के गढती रहूंगी। 

ना तो हिम्मत हारी मैंने और ना हिम्मत हारूंगी।

भारत माता की सेवा में तन मन धन सबकुछ वारूंगी। 

विश्व पटल पर यशगान करूंगी भारत का ।

नभ-जल-थल में गुणगान करूंगी भारत का।

जय हिंद जय हिंद सदा ऊचारूंगी। 

बगिया हूं में रंग - बिरंगे फूलों की मैं केशर की क्यारी हूं।

जी हां मैं एक नारी हूं।


निरीह नहीं हूं निर्बल नहीं हूं , सबल और  सशक्त हूं।

व्यक्त में अव्यक्त हूं और अव्यक्त में भी  व्यक्त हूं।

कोमल हूं मैं जितनी , उतनी ही सख्त हूं।

हर मौसम में ममता और स्नेह देने वाला सदाबहार दरख्त हूं।

समय के सूरज के साथ चलने वाली दुश्मनों की छाती पर मूंग दलने वाली।

आंधी तूफानों में भी जलने वाली , अभावों में भी पलने वाली।

भारत माता की बेटी बडी दुलारी हूं।

जी हां मैं भारत की एक नारी हूं।

मधु मंगलम जबलपुर

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