महिलाओं को नमन हमारा


महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

शक्ति का भण्डार अनूठा,

ममता का वो भवन हमारा ।।

महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

स्वर्णिम युग की यही धरोहर,

करतब इनके बड़े मनोहर ।

चुनौतियों पर रहती तत्पर,

कर्म-कला ही उनके जौहर ।।

धैर्यपूर्वक हवन सँवारा,

महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

माँ-बहिन का रूप है जिनमें,

लक्ष्मी का स्वरूप है जिनमें ।

महाशक्ति संघर्षमयी जो,

दुर्गा का एक रूप है जिनमें ।।

किया मिथ्या का दमन सारा,

महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

जीवन के हर मोड़ मोड़ पर,

सर्वगुणों का बिगुल बजाया,

रंग बिखेरे खूबी के नित,

जिनसे सारा बाग़ सजाया,

नित्य-निरंतर इस वसुधा पर 

मंगलमय आगमन तुम्हारा,

महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

शक्ति का भण्डार अनूठा,

ममता का वो भवन हमारा ।।

महिलाओं को नमन हमारा,

गुलशन जिनसे चमन हमारा ।

(स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित)

(रचनाकार: बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज")

     कोटा (राजस्थान)

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