टूटे नहीं मनोबल अपना

 टूटे नहीं मनोबल अपना 


कंटीले पथ हमें मिलेंगे ,

नहीं हमें इनसे डरना । 

कदम अपने नहीं रुकेंगे ,

टूटे नहीं मनोबल अपना।। 


जीवन भर चलना हमको ,

धूप छाँव है आती-जाती। 

हार जीत का खेल यहाँ पर  ,

ये जीवन है दीया-बाती । 

मेहनत से घबराना कैसा ,

पूरा होगा देखा सपना। 

वीर निडर रहते सदा ही ,

टूटे नहीं मनोबल अपना।। 


निराशा छायेगी मन में ,

तन थक कर चूर होगा। 

साथ नहीं देगा कोई ,

लक्ष्य कहीं दूर होगा। 

निंदा होगी कहीं हमारी ,

भूलेंगे नहीं हम हँसना। 

घाव तन-मन पर होंगे ,

टूटे नहीं मनोबल अपना।। 


हानि होगी कितनी हमको ,

फिसलेंगे हम बारम्बार । 

धोखे हमको कई मिलेंगे ,

कई होंगे हम पर वार। 

कायर बन कर जीना कैसा ,

अग्नि पथ पर हमको चलना। 

सफलता का स्वाद निराला ,


भाग्य भरोसे बैठें कैसे ,

आँधी और तूफान होंगे। 

भूखे-प्यासे रहना होगा ,

डगर सारे अंजान होंगे । 

अपना कहें आज किसको ,

कितना पड़ेगा हमको सहना।  

रात-दिन तो आते -जाते ,

टूटे नहीं मनोबल अपना ।। 


श्याम मठपाल  ,उदयपुर

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