आशियाना
हर किसी को आशियाना चाहिए
रात की खातिर ठिकाना चाहिए
छूट जाती है परेशानी उस जगह
चैन जहाँ पर हो तराना चाहिए
जीव जो भी देखते यहाँ पर
सो सके बस वो बहाना चाहिए
चोंच से तिनके उठाती रात दिन
खुद उसे अपना जमाना चाहिए
पेड़ पानी और धरती पर बसे
जी सके जो वो दिवाना चाहिए
काम करते हैं सभी तो रोज ही
खुश रहे अपना खज़ाना चाहिए
लोग सपने रोज देखते ही रहे
घर किसी का तो बसाना चाहिए
श्याम मठपाल ,उदयपुर
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