आस्था के दीप



हर घर में अब दीप जले हैं , चारों ओर उजाला है। 

मुख मंडल पर छाई लाली , सबका वो रखवाला है। 

हर घर में सुख  सम्पति आती,पूजा करते सारे हैं। 

स्वागत करते आज राम का , पूरे जग से न्यारे हैं।


सब कुछ अपना अर्पण करते,उसको अपना माना है। 

पाया जो भी  इस जीवन में , उसका ताना बाना है। 

कष्टों को सब हरते प्रभु तुम , भक्तों से ही नाता है। 

बड़े भाव से आज बुलाते , संग तुम्हारा भाता है। 


अंधकार अब दूर हुवा है , उर को आज सजाया है। 

धोया पोछा है आँगन को , भय को आज भगाया है। 

ज्ञान ध्यान को मैं ना जानूँ , तुमको आज पुकारा है। 

आस्था के दीपक जलाकर,जीवन आज सँवारा है । 


जो भी जग में रोगी कोई , दया सभी पर होती है। 

छोड़ा जिसको सारे जग ने , राम कहे वो मोती है। 

जात पात ना माना प्रभु जी ,सबको गले लगाते हो। 

दीन हीन है कोई जग में ,अपना उसे बनाते हो ।


श्याम मठपाल ,उदयपुर 

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