दीपावली का सन्देश
दीपावली को दिवाली न कहना।
है जो रीति अपनी उसे कम न करना।
सोचों जरा हम कहाँ जा रहे हैं,
तो मुर्दे के जैसे बहे जा रहे हैं।
जो है अपनी थाती उसे खो रहे हैं,
नयी रोज विकृति को घर ला रहे हैं।
जो भी है अपना उसे मत बिसरना,
है जो रीति अपनी उसे कम न करना ll
दीपावली को दिवाली न कहना,
है जो रीति अपनी उसे कम न करना ||
हरिश्चंद्र दुबे
(संस्कृति-विभाग, उत्तर प्रदेश ) प्रयागराज_**
No comments:
Post a Comment