पहचान

 आदमी न ऊँचा होता है,

आदमी न नीचा होता है,

आदमी न बड़ा होता है,

आदमी न छोटा होता है,

अपनी पहचान से ही,

आदमी आदमी होता है।

वह पथ पर हो या रथ पर 

प्राचीर पर हो या तीर पर,

गुण ही है उसकी पहचान 

इसी से आदमी जीतता है।

ईर्ष्या,द्वेष,विश्वासघात,

ये सब हैं मन की मलिनता,

इससे पहचान नहीं बनती,

टूटे सपनों को गढ़ने वाला,

परिस्थितियों से जूझने वाला,

अभिमान को त्यागने वाला,

व्यक्ति पहचान बनाता है,

 पहचान कर्मों से होती है,

 कुबेर की संपदा से नहीं,

पहचान तो मन से होती है।


मनोरमा शर्मा ' मनु '

हैदराबाद 

तेलंगाना

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