दीपक एक विश्वास है
प्रेम का आभास है
स्नेह से ये जलता दीप
स्नेह का आगाज़ है
स्नेह का दीपक जलाना
ऐसे दीपावली मनाना
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दीपक धरती का उल्लास है
आकाश का उत्साह है
जग को दमकाने वाला
तम का ये नाश है
उत्साह से दीपक जलाना
ऐसे दीपावली मनाना
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दीपक तन मन को हर्षाता है
जन जन को भाता है
इसकी जगमग लौ के साथ
सहृदय मुस्काता है
मुस्करा कर दीपक जलाना
ऐसे दीपावली मनाना
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एक एक जन के मन में
सद्भाव दीप जलाना
आस्था ज्योति प्रज्ज्वलित
जहां रोशन कर जाना
देहरी का दीप बन जाना
ऐसे दीपावली मनाना
श्रीमती संध्या श्रीवास्तव छतरपुर मध्यप्रदेश
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