प्राकृत अभिव्यंजना की भाषा है- प्रो. द्विवेदी


जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के द्वारा आयोजित ‘प्राकृत संगोष्ठी एवं प्रोत्साहन समारोह-2022 में पावन सान्निध्य मुनिश्री श्रद्धानन्द और मुनिश्री पवित्रानंद जी महाराज ने प्रदान किया और अपने उद्बोधन में कहा कि प्राकृत वास्तव में प्रकृति की सहचारिणी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. हेमंत द्विवेदी, अध्यक्ष दृश्यकला संकाय ने कहा कि प्राकृत अभिव्यंजना की भाषा है। प्राकृत में प्रकृति का भरापूरा अस्तित्व है।  कार्यक्रम के समन्वयक डॉ ज्योति बाबू जैन ने स्वागत वक्तव्य एवं विषय प्रवर्तन में आयोजन का प्रयोजन और प्राकृत की महत्ता पर ओजस्वी वक्तव्य प्रदान किया  एवं ग्लोबल महासभा द्वारा निर्मित किए जाने वाले 15000 स्क्वायर फीट के प्राकृत भवन  निर्माण की जानकारी प्रदान की।

 मुख्य वक्ता प्राकृत मनीषी डॉ. उदयचंद जैन और प्राकृतविज्ञ प्रो. प्रेम सुमन जैन ने प्राकृत अध्ययन की उपयोगिता पर एक नई दृष्टि प्रदान की, साथ ही मुख्य अतिथि प्रो. सी. पी. जैन, अधिष्ठाता - विज्ञान महाविद्यालय ने कार्यक्रम के महत्ता पर कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से समाज में प्राकृत भाषा एवं साहित्य के प्रति रुचि जाग्रत होती है। सारस्वत अतिथि प्रो. हुकमचंद्र जैन और प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन ने भी अपने विचार रखे और अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान की।

कार्यक्रम की सम्पूर्ण प्रयोजना और आर्थिक संहयोग श्री दिग. धर्म प्रभावना समिति, उद‌यपुर और श्री आदिनाथ दिग. जैन दसा नरसिंहपुरा चेरिटेबिल ट्रस्ट एवं चातुर्मास व्यवस्था समिति, केशवनगर, उदयपुर ने प्रदान किया। इन समितियों के सभी पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों एवं जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग में अध्ययनरत पीएच.डी, एम.ए और बी. ए. के विद्यार्थियों का स्वागत एवं राशि प्रदान कर सम्मान किया।

कार्यक्रम में श्री कुन्थुकुमार गणपतोत, श्री धनपाल जेतावत, श्री जीवन्धर जेतावत, श्री प्रकाश अखावत, श्री झमकलाल टाया, श्री महेन्द्र कुमार टाया, श्री प्रमोद चौधरी आदि गणमान्य श्रेष्ठियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को सक्रियता प्रदान की और प्राकृत भाषा एवं साहित्य के अध्ययन हेतु प्रेरणा प्रदान की।

आयोजन के समन्वयक और संयोजक क्रमशः डॉ. ज्योतिबाबू जैन (प्रभारी -विभागाध्यक्ष) और डॉ. सुमत कुमार जैन सहायक आचार्य रहे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्री दिग. जैन धर्म प्रभावना समिति के महामंत्री प्रकाशजी अखावत ने किया इसी प्रकार प्राकृत विद्या प्रोत्साहन की श्रृंखला को अनवरत जारी रखने की घोषणा की |

समारोह में  शोधार्थियों  विद्यार्थियों  के साथ लगभग 300 गणमान्य प्राकृत प्रेमियों  की उपस्थिति रही ।

              डॉ. सुमत कुमार जैन

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