यह कोशिश सौ बार किया है ।

 जग से ऐसा प्यार किया है

तलवारों की धार जिया है ।


जितने प्याले मिले गरल के

हँस-हँस बारंबार पिया है । 


घाव छिपाकर सुमनों   वाले 

काँटों  से अभिसार किया है ।

 

झूठों के  मुँह  सच  दे    मारूँ 

 यह कोशिश सौ बार किया है ।


आँसू  पोंछे  नम   आँखों  के

यों गलती हर बार किया  है ।


नागफनी   बाँहों  में   देकर 

उसने कहा  बहार  दिया है।


गले    लगाते  गर्दन    गायब

 क्या वाजिब व्यवहार किया है।

@गुणशेखर

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular