पाई सीख ज़माने से

 लूट हो रही नित्य जगत में,

कोई नये बहाने से।

रहना हमको सावधान अब,

पाई सीख ज़माने से।।

🌹🪴🌲🌞🌴🍀🪷

 छल प्रपंच से लूट रहे हैं,

 किस पर हम विश्वास करें।

 अपने अपनों को खाते हैं,

 कैसे किस  की आस करें।।


 धीरे-धीरे उठा जा रहा,

 विश्वास बड़े ख़ज़ाने से।

 रहना हमको सावधान अब,

 पाई सीख ज़माने से ।।1।।

🌹🪷🪴🍀🌞🌴🌲

बात बात पर झूठ बोल कर,

अपना दोष छिपाते हैं।

रिश्वत से या बल प्रयोग कर,

करके काम बताते हैं।।


 उदर भरे ना लूट पाट से,

 भरता पेट कमाने से।

 सोच समझकर काम करो अब,

 पाई सीख ज़माने से।।2।।

🌺🪷🪴🍀🌞🌴🌲

निर्बल को बलशाली खाता,

यह तो रीत पुरानी है।

मिले शेर को सवा शेर जब,

रहती धरी जवानी है।।


बाज न आते लुच्चे गुंडे,

धन हराम का खाने से।

लूटो खाऔ मौज उड़ाओ,

पाई सीख ज़माने से।।3।।

🌲🌴🌞🍀🪴🪷🌹

दुष्ट बना बंधक मनुजों को,

बेच रहे हैं अंगों को।

ऐंठ रहें हैं रकम रात दिन,

दिखा रहे निज रंगों को।।


चोर लुटेरे तस्कर देखो,

उपजे बड़े घराने से।

मन में मैल भरा है कैसी,

पाई सीख ज़माने से।।4।।

🪷🪴🌲🍀🌴🌞🌹

अत्याचार बढ़े धरती पर,

गुंडों को छाई मस्ती है।

आसमान छूती महँगाई,

जान बहुत ही सस्ती है।।


 छीना झपटी रोज हो रही,

 नर मर रहा फँसाने से।

 इक दूजे के दुश्मन हो गए,

 पाई सीख ज़माने से।।5।।

🌺🪷🪴🌲🍀🌴🌞

जियो और जीने दो सबको,

दिल न दुखाओ दीनों का।

हर दुखिया का दर्द मिटाओ,

सम्बल बन ग़मगीनों का।।,


सुख होगा "सुमनेश" जगत में,

अमन-चैन को लाने से।

प्रेम भाव से रहना हमको,

पाई सीख ज़माने से।।  6।।

🌞🌴🍀🌲🪴🪷🌹

डॉ. सुरेश चतुर्वेदी "सुमनेश"

नमक कटरा भरतपुर राज

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