मन रौशन तो रोज दिवाली

 हो यदि खुशी उमंगे मन में, 

मन रौशन तो रोज दिवाली।

अगर भरे हों हृदय अवसाद, 

मानव मन हो सदा सवाली।।


रहें प्रेम से हिलमिल जग में,

रहे भाव हर जग मानवता।

द्वेष भाव नहीं रहे मन में,

अब छोड़ सभी ये दानवता।।


जग उनको चैन कभी न मिले,

अगर हृदय हो ये जंजाली।

मन जिनका हो दया भरा ये,

मन रौशन तो रोज दिवाली।।


नेक काम हो सबके जग में,

बने सदा इस जग में प्यारा।

अलग करें कुछ नया सदा हम,

हो अंदाज सभी से न्यारा।।


जिनके मन में कपट भरा है

रात अमावस जैसे काली।

मन हो अगर साफ ये जिनका,

मन रौशन तो रोज दिवाली।।


घृणा एकता में बाधक है,

सदा सभी नफरत को छोड़ो।

सबको गले लगाओ अपने,

जीवन ये अपना ये मोडो।।


परहित जीवन करें नहीं तो,

जीवन होता सदा मवाली।

मन चंगा तो गंग कठौती,

मन रौशन तो रोज दिवाली।।


मदद करो हर दीन दुखी की,

जीवन में हो हर खुशहाली।

फसल उगाओ सदा प्रेम की,

हो सके चहुंओर हरियाली।


बुरे काम का बुरा नतीजा,

करें काम जो मानव जाली।

सच्चे मन से काम करें यदि,

मन रौशन तो रोज दिवाली।।


स्वरचित

डॉ एन एल शर्मा निर्भय जयपुर राजस्थान

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