विपरीत परिस्थितियों का भी धन्यवाद



सुबह  नल में पानी नहीं आ रहा था। शिखा ने मोटर  चलाई परंतु फिर भी पानी नहीं आया। नीचे जाकर देखा तो मेन पाइप लाइन टूट गई थी और पानी बाहर बह रहा था। अब क्या होना था होली के दिन पानी की घर में त्राहि-त्राहि मच गई। घर के सब सदस्य जाग चुके थे।
 मम्मी ने सुबह का नाश्ता कैसे न कैसे बनाया।  फिर पानी को टंकी में चढ़ाने के लिए जुगत बैठाने लगे पर होली के दिन कोई भी प्लंबर आने को राजी नहीं था।  भैया ने पड़ोसी की टंकी से पानी लेने का प्रयास किया परंतु वह उपाय भी नहीं बैठा  सीढ़ियों पर भैया भाभी भतीजा और मम्मी पापा बैठकर पानी को पहुंचाने के बारे में चर्चा करने लगे। जो लोग खाने की टेबल पर विचारो में मत भेद के कारण एक साथ नहीं बैठ पाते थे वह सभी एक विपरीत परिस्थिति में एक साथ हो गए।सभी   समस्या के समाधान पाने में लगे हुए थे। शिखा का मन ऐसी विपरित परिस्थितियों को भी  धन्यवाद कर रहा था।जिसमे नल के पाइप का टूटने ने पूरे घर को एक कर दिया था। पानी तो सब अलग-अलग कमरों में बने बाथरूम तक नहीं पहुंच पाया परंतु इस होली में पूरे घर को एक साथ एक समाधान तक पहुंचाने के लिए एक राह पर चला दिया था।


गरिमा खंडेलवाल 
उदयपुर राजस्थान

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