कर्जदार


प्यार-दुलार-ज्ञान की गंगा,

ईश्वर-माता-पिता-गुरु ।

जिनके अद्भुत त्याग-प्रेम को,

कहो कहाँ से करूँ शुरू ।।

निधि अनूठी बड़ी ही अनुपम,

जिनका कोई मोल नहीं ।

तबाह यूँ ही हो जाये जीवन,

लेकिन इसका तोल नहीं ।।

जो भी किया समर्पण उसका,

मूल्य चुका न पाओगे ।

कितने भी लो जन्म भले ही,

मुक्त नहीं हो पाओगे ।।

कैसा भी हो धुला दूध का,

कितना भी होगा खुद्दार ।

ॠण चुका न पायेगा वो,

बना रहेगा कर्जदार ।।

 बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज")

                कोटा (राजस्थान)

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular