शादी ( हास्य व्यंग्य )
शादी में हो रहे,भांति भांति के सपने साकार।
अरैंज, लव मैरिज और अरजेंट जैसे प्रकार ।।
अरजेंट जैसे प्रकार, गंधर्व विवाह भी रचाते।
आजकल लिव इन रिलेशन में ही घर बसाते।।
कहें कुंवारे ये स्वर्ग है शादी-शुदा कहें बर्बादी।
अकेला जीना है मुश्किल,करनी पडती शादी ।।
देखो शादी में बजे , शहनाई नगाड़े ढोल।
सात फेरे खा रहे , सात वचन मिल बोल।।
सात वचन मिल बोल,साथ जीवन निभाते।
देकर साथ एक दूजे को , दिल में बसाते ।।
कह संजय देवेश, प्रेम खूशबू में महको ।
आनन्द से कटेगा जीवन,बस यह देखो ।
अगले जन्म में मुझे बनना,शादी की घोड़ी।
गधे को खुद पर बिठा,खुश होऊंगी निगोड़ी।।
खुश होऊंगी निगोड़ी,देखूं दूल्हे के हालात।
जीवन भर पछतायेगा,निकाल यह बारात।।
कह शादी की घोड़ी,अच्छे भले बनते पगले।
कर बैठे वो रोंयें और रोने को तैयार अगले।।
---- संजय गुप्ता देवेश
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