विश्वरंग - विश्व को अपने रंग में रंग दिया विश्व रंग ने

 




विश्व को अपने रंग में रंग दिया विश्व रंग ने

भोपाल की धरा पर पग रखते ही दृष्टि को इधर-उधर भटकने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी , ठीक गेट पर विश्व रंग की पट्टिका लिए कर्मवीर खड़े थे , कुली को भाड़ा देने के लिए अभी पर्स खुला भी नहीं कब उसे विदा कर दिया ज्ञात ही नहीं हुआ। होटल में प्रत्येक को व्यक्तिगत रूप से सुविधाएं प्रदान  कराने में संलग्न डॉo अरविंद चतुर्वेदी की  सचेष्टता सहजता समर्पणता के साथ विदाई तक यथावत रही फोन की एक कॉल पर रात दिन मुस्कराते हुए वे हर सुविधा के लिए उपलब्ध रहे 

हम अतिथि सत्कार की परिभाषा इनसे  सीखते रहे

 विश्व स्तरीय कलात्मक सज्जा से अलंकृत संपूर्ण परिसर न जाने कितने समय से कितने कलाविदो की कल्पना का प्रतिफल था  विश्व रंग का लुभावना अर्थ सम्मत लोगो(logo) में  सत्पर्णी विहंग उड़ान कला संस्कृति साहित्य सभी का समवेत प्रतीक बन प्रवेश द्वार से सभा स्थल 

उपहार किट प्रतीक चिन्ह सभी को आकर्षक बना रहा था

हम प्रवासियों को तो प्रदेश के विभिन्न विभागों ने सम्मान प्रदान कराकर आत्मीयता का अविस्मरणीय उपहार दिया

 आधुनिक तकनीक से सम्पन्न संपूर्ण सभास्थल तथा पृथक पृथक संचालित समानांतर सत्र प्रमुख हस्तियों के साक्षात्कार वार्ताएं एवम प्रश्नों ने  सजीव आकर्षक बना रखा 

चारों ओर जल काफी चाय की उदार व्यवस्था रही

  कार्यक्रम का संंयोजन अंतिम क्षण तक रोचक ज्ञानवर्धक बना रहा

संपूर्ण टीम की एकजुटता विनम्रता कर्मठता सजगता एवं आतिथ्य भावना  देखते ही बनती थी 

 देर रात तक अनुशासित सुनियोजित  तथा प्रसिद्ध रंगकर्मियों  की प्रस्तुति नगर भर में  चर्चित रही श्रोता दत्ता वैधान होकर अंत तक साहित्य सुधा पान करते रहे कुछ ऐसी प्रतिभाएं थे जिनका आक्षरिक परिचय तो था लेकिन साक्षात देख कर मन गदगद हो गया संपूर्ण कार्यक्रम में टीम वर्क तो था ही लेकिन मान्य कुलपति श्री संतोष चौबे जी के सहजता और विनम्रता सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रतिभा संपन्न व व्यक्तित्व के लिए मैं प्रणाम करती हूं उन्होंने बहुत शांत और सरलता से हर पल चौकन्ना रहकर क्षण क्षण  इस कार्यक्रम को अनुशासित रखा उनकी कविताओं की संवेदना दिल में बस गई 

उनसे बहुत कुछ नया देखने सीखने और जानने को मिला किसी भी पल हमें ऐसा लगा ही नहीं कि हम कोई रिक्तता का अनुभव कर रहे हैं सचमुच संतोष चौबे जी ने रविंद्र नाथ टैगोर के नाम को सार्थक कर दिया और और संपूर्ण विश्वविद्यालय को शांतिनिकेतन बना दिया अपनी ज्ञान गरिमा के पावन प्रकाश से संपूर्ण कार्यक्रम को नभस्पर्शी ऊंचाइयों प्रदान की हमें विश्वास है कि भविष्य में भी यह हम सबको नया मन देगा ,नई संवेदना देगा, नया संबोधन देगा हम लौटने के बाद भी उनके अनवरत परिश्रम और बहुआयामी प्रतिभा की पग  ध्वनियों की अनुगूंज सुन रहे हैं आप सभी को बहुत-बहुत साधुवाद 

Dr Neelam Jain, US



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