जैन समाज के सर्वोच्च शाश्वत तीर्थराज 20 तीर्थंकरों एवम अनंतानंत मुनियो की निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाए जाने के मुद्दे पर जैन समाज ने भारी विरोध किया है । तीर्थ क्षेत्रों को पर्यटन स्थल बनाना या मनोरंजन का साधन बनाना कहाँ तक उचित है? धर्म स्थल अपने आराध्यों या ईश्वर के दर्शन का ही नहीं अपितु साधना का केंद्र भी होता है उसको पर्यटन स्थल बनाने पर वहां सभी तरह की व्यसनवृत्ति शुरू हो जाएगी फिर उस स्थान की शुचिता का ख्याल कौन रखेगा और क्या फर्क रहेगा शिखर जी / और शिमला मनाली नैनीताल में?
इसी इसी संदर्भ में एक मीटिंग श्री दिगंबर जैन समाज द्वारा मगरपट्टा द्वारा रखी गई जिसमें विदुषीरत्न डॉ. नीलम जैन ने इस मुद्दे को पूरी तरह समझाया और कहा कि हमें विरोध के साथ-साथ संकल्प भी लेना है कि हम स्वयं सम्मेद शिखरजी की पवित्रता को बनाए रखेंगे वहां प्रतिवर्ष यात्रा के लिए जाएंगे और पर्वतराज पर अपवित्रता नहीं फैलाएंगे ।उपस्थित सभी महानुभाव ने स्थानीय विधायक एवं जिलाधीश कार्यालय कार्यालय में देने के लिए ज्ञापन तैयार किया तत्पश्चात सभी ने एक रैली लगाकर भी अपने विरोध का प्रदर्शन किया।शिखर जी हमें प्राणों से प्यारा ,सदा रहेगा ये तीर्थ हमारा।।
नारों की गूंज के साथ मीटिंग प्रांगण गूंज उठा।
इसके पश्चात जन जागरूकता हेतु एक रैली निकाली गई।
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