मैं अपने मन का राजा हूं ।

यहां वहां फिरता हूं ।।

कोई चिंता नहीं कोई फिक्र नहीं ।

मैं मन का राजा हूं ।।

मेरे पास कोई खजाना नहीं है ।

ना ही धन दौलत है फिर भी मै अपने मन का राजा हूं  ।।

जो मन चाहे वही करता हूं ।

गैरों की मदद करना मुझको भाता है।।

 नहीं है बैंक बैलेंस तो क्या दो हाथ है ।

 सलामत ये दो हाथ रहे ।।

 इन हाथो  से ही मैं कमाता हूं। जन्म लिया है किसान के घर में ।मैं हल चलाता हूं धरती की पूजा करता हु ।।

सबके दिल पर राज करता हूं।

 मैं अपने मन का राजा हूं । ।

सबसे मीठा बोलता हूं ।

सबकी चिंता सुनता हूं जो बन पड़े वही मैं उन्हें राय बताता हूं।।

 जो मुझसे हो जाए उनका काम करके देता हूं ।

क्योंकि मैं अपने मन का राजा हूं।।

 राजा से है ठाठ मेरे राजा की तरह शान रखता हूं ।

बहुत सी जिम्मेदारी है मुझ पर उन्हें मैं निभाता हूं ।।

कर्तव्य से पीछे नहीं रहता ।

मात पिता की सेवा करता हूं ।।।

मैं कोई यहां की वहां की बात नहीं करता ।

मैं तो ईश्वर के भजन गाता हूं।। वह मेरे सर्वे सर्वा है  

मैं यहां वहां कहीं भी रहूं ।

मैं अपने शान बनाए रखता हूं।।

मैं किसी से नहीं डरता हूं ।

ना कोई बुरे काम करता हूं ।।

आम आदमी हूं फिर भी मन से राजा हूं ।

चैन की नींद सोता हूं मनचाहे सपने देखता हूं ।।

बात-बात पर हंसना मुझको आता है ।

दिल खोलकर मैं हंसता हूं।। इसीलिए मैं राजा हूं।

किसी बात का डर नहीं ।।

सीलिए तो राजा हूं  

मैं अपने मन का राजा हूं ।।

अपनी धुन में रहता हूं ईश्वर के गीत गाता हूं ।।

मैं सच्चा सेवक हूं , मैं अपने मन  का राजाहूं ।

में अपने मन का राजा हूं।।

अलका पाण्डेय मुम्बई

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