अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना
निज संस्कृति और सभ्यता,
ध्यान रख हमको जश्न मनाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
ध्यान रखें पुरखों का गौरव,
सबका हम सम्मान करें,
अभिलाषा क्या वरिष्ठजनों की,
इसका पूरा ध्यान रखें,
सुख दुख के हमें संगी बनना,
परहित धर्म हमें अपनाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
नफरत के स्तंभ गिराएँ,
भाई भाई को गलें लगाएं,
व्यसनों से हम दूर रहें,
सतपथ पर हम कदम बढ़ाएं
धन धान्य भरपूर हो चाहे,
पर अहंकार न मन में लाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
शिक्षा से रोशन हो हर घर,
संस्कार के बनें प्रतिमान,
अपनी भाषा संस्कृति का,
करें सभी हम गौरव गान,
प्रगति के सोपान चढ़ें हम,
सुखी संपन्न हमें देश बनाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
हर हाथ को काम दिलाएं,
प्रतिभा को सम्मान दिलाएं,
अपव्यय की आदत को त्यागें,
सबका स्वाभिमान जगाएं,
करें अंत का उदय सभी हम,
मिले भूखे को भोजन खाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
गांधी सा जीवन हम जिएं,
बनें पटेल से दृढ़ता धारी,
भगत,सुभाष,शेखर से बनें हम,
बनें राष्ट्र के हम हितकारी,
खतरा जो भी बने देश का,
मिलकर उसे हमें निपटाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
बनें निरोगी सभी यहां पर,
घर घर योग का करें प्रसार,
आयुर्वेद,संस्कृत,हिन्दी,
को मन से हम करें स्वीकार,
कला,ज्ञान,में निपुण बनें हम,
विश्वगुरु पद हमको पाना,
अंग्रेजी नववर्ष मनाओ चाहे,
पर विक्रम संवत भूल न जाना।।
कैलाश चन्द गुप्ता (ताम्बी) "हिन्दुस्तानी"
बालाहेड़ी(दौसा)वाले
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