फूलों को हो गुलाब
खगोल को आकाशगंगा हो
नदी को नया साल स्वच्छता हो
थकान को नया साल नींद हो
अवसाद को हो मुस्कराहट ये नया साल
ठहराव को गति हो
स्वप्न को हो नया साल यथार्थ
अंधेरे को सुबह की रोशनी हो एक जनवरी
देश को हो ये वक्त शांति की सूरत
शब्दों को नया समय
असर सहित हो
संवेदना को सभी के वोट मिलें
एक दिन नहीं
आने वाले उस हर दिन जो
एक दिन के पीछे आ रहा है
स्वर को नया साल संगीत हो
ब्रज श्रीवास्तव
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