राजा कहते अन्न का, गैहूं जिसका नाम|
करे क्षुदा को शान्त ये, सबके आता काम|
सबके आता काम, पेट में फटी बिबाई|
गौरो रंग मलूक, सूर्य की फसल कहाई|
पैदा करे किसान, करो सब रोटी ताजा|
होते अन्न अनेक, श्याम गैहूं है राजा||1||
राजा फल का आम है, होत सुनहरा रंग|
विविध भांति के हजारों, देख रह जात दंग|
देख रह जात दंग, रसीला होता भारी|
करते सभी पसंद, बूढ़े बालक व नारी|
कहे श्याम समझाय, बंद बोतल में माजा|
पीते ठंडो ज्यूस, चाहे रंक हो राजा||2||
राजा हरिश्चंद्र हुआ, दुनिया में विख्यात|
चला सत्य के मार्ग पर, कहीं न खाई मात|
कहीं न खाई मात, कष्ट झेले अति भारी|
काशी बीच बजार, बेच दीने सुत नारी|
कहे श्याम कविराय, सत्य का डंका बाजा|
झुका कभी ना सत्य, औ सत्यवादी राजा||3||
श्याम लाल सैनी
नगर भरतपुर राजस्थान
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