जो सोच समझ बोला करता ।
जो पाता नहीं उद्वेग कभी -
सुख दुख से मुक्त सदा रहता।
निज देश पर जो अभिमान करे ।
जन जन का जो सम्मान करे ।
चलती जनता पीछे उसके -
निज देश धर्म जो ध्यान धरे ।
मुश्किल में नहीं रोया करता ।
संयम जो नहीं खोया करता ।
जीवन के बिगड़े मौसम में -
फसलों में खुशी बोया करता ।
जो जान निछावर आज करे ।
लोगों के दिलों पर राज करे ।
वह राजाओं का राजा है -
उसका सम्मान समाज करें ।
जब बहा पसीना हलधर का ।
आराम लिया न पल भर का ।
राजा तो वही हुआ करता -
नित पेट भरे जो घर घर का ।
सीमा पर नित्य डटा करते ।
दुश्मन से नहीं डरा करते ।
राजा है वही जिसके दम पर -
हम चैन की नींद लिया करते।
हम चैन की नींद लिया करते।
रघुनंदन हटीला 'रघु' कोटा राज.
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