मैं समय हूँ।
मैं समय हूँ। मैं अखंड हूँ, एक हूँ। अनादि, अनंत हूँ। मैं संसार में होने वाली समस्त छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी घटनाओं का सदैव साक्षी हूँ। पुराने से पुराने कलेंडर के प्रथम दिवस से पूर्व भी मेरी उपस्थिति ऐसी ही थी जैसी की आज है।
ब्रह्मांड में घटित ऐसी घटनाएँ जो एक निश्चित अवधि के बाद पुनः अपना दोहराव करती हैं, उन अवधियों को पृथ्वी पर रहने वाली मानव संस्कृतियों ने मेरे विभाजन का आधार बनाया है। साल, महीने, दिन, घंटे, मिनट, सेकेंड सब मेरी ही इकाइयाँ हैं। सौ साल की एक सदी और सदियों के समूह से समय की बड़ी से बड़ी इकाई का निर्माण किया जा सकता है । किंतु उन बड़ी इकाइयों, युगों में भी मुझे संपूर्ण नहीं समेटा जा सकता।
सभी ने अपनी सुविधा के लिए मेरा अलग-अलग तरह से विभाजन किया है। लोक व्यवहार से मुझे कभी भी अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ मेरा आकलन विरहणियों ने दीवारों पर लकीरें चिह्नित करके भी किया है , वहीं वैज्ञानिक नैनो सेकंड तक की गणना नवीनतम यंत्रों से करते हैं। संसार के समस्त कार्य मेरे ही अधीन हैं। मेरी जो इकाई व्यतीत हो जाती है वह पुनः लौट कर कभी नहीं आती अतः मैं प्रतिपल नया ही आता हूँ। फिर भी साल जैसी इकाई के प्रारंभ में मेरा स्वागत करना मुझे भाता है। जो भी मेरा सम्मान व सदुपयोग करता है वह सदैव शीर्ष पर रहता है। जो मेरा निरादर कर अवहेलना करता है वह व्यक्ति जीवन में सुखी नहीं रह पाता।
आज ईसवी संवत के 2023वें वर्ष का पहला दिन है।
आने वाला समय आपके लिए खुशियों भरा हो।
-आपका समय।
-शिशुपाल
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