उम्मीदों का नया साल है

 बुधवार

दिनांक -०४.०१.२०२३

कविता

प्रदत्त पंक्ति -उम्मीदों का नया साल है।



आशाओं से ही तो जीवन है।

 यही तो ,सबसे  प्यारा धन है।

आशाओं पर  टिका जगत  है।

 चाहे   विषम  रहा   विगत  है।

सुंदर   सबसे  यही  काल   है।

उम्मीदों   का   नया  साल  है।।


मन- उमंगे  हैं  ,मीत   हमारी।

मन से  मन  की प्रीत  हमारी।

जो भी खोया,अब फिर पायेंगे।

मेघ  खुशी के घिर-घिर आएंगे।

अनुपम मन का आज हाल  है।

उम्मीदों   का  नया  साल  है।।


सबका सुख अपना सुख होगा।

सुंदर- वासित वायु रुख होगा।

गंगा - यमुना  ,नेह  रीत   की।

अंतर्मन  के  सहज   गीत  की।

जिससे  ऊंचा  सदा  भाल  है।

उम्मीदों  का  नया  साल  है।।


प्रमाद भूत में रहा है जो भी।

दूर  होगा अब  ही ,वो  भी।

श्रम -साधना ही हाथ  हमारे।

जब श्वेद  सजेगा गात हमारे।

मेहनत  ही  तो  सदा ढाल है।

उम्मीदों  का  नयाक्ष साल है।।


भूले- भटके साथ में होंगे।

हाथ  हमारे  हाथ  में  होंगे।

कटुता का घट फूट  पड़ेगा।

अमि का सबको घूंट मिलेगा।

टूटेंगे  मनके सभी जाल हैं।

उम्मीदों का नया साल है।।

             

-निर्मल औदीच्य

भवानीमंडी, राजस्थान

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