अकेला ---- -----

 

यह सोच कर अक्सर

मैं परेशान बहुत रहता हूँ

अकेला हूँ मैं इस जमाने में

जमाने में हूँ बिल्कुल अकेला   ....... 1

तभी मेरे सामने दिखा 

गुलाब का सुन्दर फूल एक

इठला रहा था वह अपनी

खूबसूरती पर आनन्द से

बिखेर रहा था खुशियाँ

वह अपने चारों ओर

था तो आखिर 

वह भी अकेला! ....... 2

अकेला फूल जब इठला सकता है

अपनी खूबसूरती पर

बिखेर सकता है खुशियाँ

आपने चारों ओर अकेले ही

फिर मैं क्यों सोचूँ 

हूँ मैं दुनिया में अकेला

मेरी अच्छाईयां तो साथ हैं ही मेरे 

बिखेर सकता हूँ मैं भी

अपनी अच्छाईयों को 

जमाने में अकेले .......... 3

कोई इस जमाने में

नहीं होता अकेला

साथ होता  हैं उसके हमेशा

उसकी अच्छाईयां, कर्म, भाग्य

और हमेशा साथ होता 

ईश्वर उसका......... 4

चल पड़ो अपनी मंजिल पर अकेले

वह मंजिल भी तो है 

आखिर तुम्हारा ही  अकेला

राह में कोई मिले न मिले

क्या फर्क पड़ता है

अपनी अच्छाईयां  कर्म व 

अपने ईश्वर

के साथ ही  

बढ़ो  अपनी मंजिल की ओर 5

अकेले ही ......... ---- ओमप्रकाश पाण्डेय)

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular