अठारह सौ वर्ष प्राचीन अरिहंतगिरि तीर्थ में बारह सौ प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा संपन्न




 अठारह सौ वर्ष प्राचीन अरिहंतगिरि तीर्थ में बारह सौ प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा संपन्न

श्रीमती सरिता एम.के. जैन ने अरिहंतगिरि को बनाया सुविधापूर्ण तीर्थ

भव्यातिभव्य सर्वार्थसिद्धि जिन मंदिर दर्शनीय बना


1800 वर्ष प्राचीन तीर्थ अरिहंतगिरि तिरुमलै (तमिलनाडू) । आचार्यश्री समन्तभद्रजी महाराज की समाधिस्थली, आचार्य अंकलकदेव की विद्या आराधना स्थली अरिहंतगिरि जैन मठ तिरुमलै में सर्वार्थसिद्धि जिन मंदिर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भव्यातिभव्य रूप में 3 मई 2023 को संपन्न हुआ। तपश्चर्या चक्रवर्ती आचार्यश्री सुविधिसागरजी, आचार्य श्री गुलाबभूषणजी, युगल मुनि अमोघकीर्ति अमरकीर्तिजी महाराज सहित गणिनी आर्यिका सुविधिमति माताजी, समस्त भट्टारक स्वामी, विद्वानों की उपस्थिति में तीस चौबीसी के सात सौ बीस, विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकर 458 अकृत्रिम जिनबिम्ब सहित बारह सौ प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रदीप जैन मधुर मुंबई, पं. आनंदप्रकाश शास्त्री कोलकाता, पं. वसंत शास्त्रि, पं. श्रीमंधर जैन, पं. जयपाल जैन ने संपन्न कराई ।


दक्षिण भारत के भामाशाह दान चिंतामणि श्रीमती सरिता एम. के. जैन ने बनवाया भव्य जिनालय

अरिहंतगिरि दिगम्बर जैन मठ के भट्टारक चिंतामणि स्वस्तिश्री धवलकीर्ति स्वामीजी के निर्देशन में हुए समस्त कार्यों में श्राविका शिरोमणि श्रीमती सरिता एम.के.जैन चैन्नई ने अरिहंतगिरि तीर्थ के विकास में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है । श्रवणबेलगोलातीर्थ के परम् पूज्य जगदगुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्तिजी महास्वामी ने भव्य जिनालय की प्रेरणा देते हुए जिनालय का नाम सर्वार्थसिद्धि जिन मंदिर रखा है। उक्त तीर्थ 1800 वर्ष प्राचीन है लेकिन यहां पर किसी तरह की कोई सुविधाएं नहीं थी । श्रीमती सरिता एम. के. जैन परिवार की ओर से तीर्थ के विकास में चार चांद लगाकर जंगल में मंगल कर दिया । तीर्थ पर विशाल जिनमंदिर के साथ ठहरने, भोजन आदि की समुचित व्यवस्थाएं हैं। यहां श्रीमती सरिता एम. के. जैन विद्यालय भी संचालित है जहां पर बच्चे लौकिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे है।


भट्टारक चिंतामणि धवलकीर्तिजी का रजत जयंती वर्ष उत्साह से मनाया


विगत 25 वर्ष पूर्व अरिहंतगिरि तीर्थ पर किराये की झोपड़ी में आकर तीर्थ का स्वप्न देखने वाले भट्टारक चिंतामणि स्वस्तिश्री धवलकीर्ति स्वामीजी ने यहां तीर्थ को समुन्नत बनाया । श्रवणबेलगोला के परम पूज्य जगदगुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्तिजी भट्टारक स्वामीजी ने 25 वर्ष पूर्व स्वस्तिश्री धवलकीर्तिजी को दीक्षा देकर भेजा था। तब यहाँ पर किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं थी । स्वस्तिश्री धवलकीर्तिजी अपनी सुझबूझ से व श्रीमती सरिता एम.के. जैन चैन्नई का सहयोग लेकर अभूतपूर्व कार्य किये है। आज तीर्थ पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है ।

स्वस्तिश्री धवलकीर्तिजी के दीक्षा रजत जयंती समारोह में समस्त तीर्थों के भट्टारक पहुंचे, जिनमें परम् पूज्य जगदगुरु कर्मयोगी स्वास्तिश्री चारुकीर्तिजी भट्टारक महास्वामी श्रवणबेलगोला द्वारा दीक्षित प्रमुख भट्टारक स्वस्तिश्री ललितकीर्तिजी (कार्कल), स्वस्तिश्री भुवनकीर्तिजी ( कनकगिरि), स्वस्तिश्री धवलकीर्तिजी ( अरिहंतगिरि), स्वस्तिश्री भानुकीर्तिजी (कम्बदहल्ली), स्वस्तिश्री चारुकीर्तिजी ( मुडबद्री), स्वस्तिश्री लक्ष्मीसेनजी (जिनकांची), स्वस्तिश्री धर्मकीर्ति (वरुद), स्वस्तिश्री डॉ. देवेन्द्रकीर्तिजी (हुम्मचा), स्वस्तिश्री भट्टाकलकजी (सौंदा), स्वस्तिश्री लक्ष्मीसेनजी (एन. आर. पूरम्), स्वस्तिश्री वृषभसेनजी (लक्कवल्ली), स्वस्तिश्री जिनसेनजी (नांदणी), स्वस्तिश्री सिद्धांतकीर्ति (आरतिपुर), स्वस्तिश्री लक्ष्मीसेनजी (कोल्हापुर), क्षुल्लक प्रमेयसागर (महावीर तपोभूमि), पं. नंदकुमार शास्त्रि (श्रवणबेलगोला) ने भट्टारकजी का अभूतपूर्व अभिनंदन किया ।


उल्लेखनीय है कि इस तीर्थ पर आचार्य श्री समन्तभद्रजी ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार ग्रंथ लिखा था ।


छोटी सी पहाड़ी पर अतिप्राचीन श्री नेमिनाथ भगवान की अतिप्राचीन प्रतिमा चरण चिन्ह स्थापित है ।


श्रीमती सरिता - एम. के. जैन का अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित होगा।


श्री अरिहंतगिरि दि. जैन मठ की ओर श्रीमती सरिता एम. के. जैन का अभूतपूर्व अभिनंद गया। उन्हें सद्धर्म कल्पतरु की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर धर्मस्थल धर्माधिकारी डी. वीरेन्द्र हेगड़े के प्रतिनिधि श्री सुरेन्द्र हेगड़े जी उपस्थित हुए ।


समस्त भट्टारक स्वामी व उपस्थित जन समुदाय के बीच अखिल भारतीय दिगम्बर जैन ...... परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. श्रेयांसकुमार जैन (बड़ीत) ने कहा कि श्रीमती सरिताजी के कार्य अभिनंदनीय है। जिस पर एक विस्तृत अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित किया जाएगा। जिसमें डॉ. श्रेयांसकुमार जैन (बड़ीत) के साथ प्रो. नलिन के शास्त्री (लाडनू), डॉ. नीलम जैन (प), राजेन्द्र जैन महावीर (सनद), विस्तृत योजना बनाकर प्रस्तुत करेंगे।

उपस्थित जन समुदाय व मंचासीन श्री सुरेन्द्र हेगड़े, समस्त भट्टारक स्वामीजी, श्री विनोद चाकलीवाल (मैसूर), श्रीमती रंजना बाकलीवाल, श्रीमती निशा जैन, डॉ.ज्योत्सना जैन (दिल्ली), श्रीमती रजनी जैन ( महासभा कार्यालय दिल्ली), डॉ. संगीता विनायका ( इन्दौर), श्रीमती इन्द्रा बड़जात्या (जयपुर), प्रतिष्ठाचार्य पं. कुमुदचंद सोनी ( अजमेर), पं. महेश जैन डीमापुर,, श्रीमती सीमा जैन, डॉ. ममता जैन (पुणे), श्रीमती संगीता दिनेश सेठी (चेन्नई), श्रीमती पुष्पलता संध्या सेठी, श्रीमती सुमन पाण्डया, डॉ. अर्चना जैन, श्रीमती राजरानी जैन, श्रीमती अनिता जैन, श्रीमती लता सिंघई, संजय टोलिया (पांडिचेरी), सौधर्म इन्द्र अजय जैन, श्रीमती सोनिया जैन ( बैगलुरु), कुबेर इन्द्र श्री ऋषभकीर्ति जैन एवं प्रमोद जैन (दिल्ली), हेमचंद जैन (दिल्ली), हुकुमीचंद ढोलिया ( पांडिचेरी), जयकुमार जैन ( कोटा, जयपुर), जम्बूप्रसाद जैन (गाजियाबाद), निहालचंदजी जैन टोलिया (बैगलौर) सहित अनेकजन उपस्थित थे ।




सभी ने श्रीमती सरिता एम. के. जैन के कार्यों को अभूतपूर्व बताया जो कि समाज के लिए प्रेरणादायी है । अभिनंदन समारोह का संचालन प्रो. नलिन के शास्त्री ने किया महिला महासभा ने भी श्रीमती सरिता एम. के. जैन का अभिनंदन किया ।


उल्लेखनीय हैं कि श्रीमती सरिता एम के जैन जैन जगत की राष्ट्रीय महिला नेत्री हैं जिन्हें 1040 वर्ष के इतिहास में पहली बार गोम्मतेश्वर भगवान बाहुबली स्वामी महा मस्तकाभिषेक समारोह श्रवणबेलगोला का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी। भारत वर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा की प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित अनेक पदों को सुशोभित किया है। उनके सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक, अनेक कार्यों को अभिनंदन ग्रंथ में समाहित किया जाएगा।


150 ग्रंथों का हुआ विमोचन


आचार्य सुविधि सागरजी महाराज द्वारा लिखित व संपादित 150 ग्रंथों का विमोचन किया कि एक वर्ल्ड रिकार्ड है। आचार्य श्री द्वारा पूर्व अनेक ग्रंथों को एक पेन ड्राइव में उपलब्ध कर जन्माभिषेक में तमिलनाडू प्रदेश के हजारों श्रद्धालु सम्मिलित हुए । तमिलनाडू सरकार के केबिनेट मंत्रा मा सम्मिलित हुए । आयोजन के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। इस अवसर पर दक्षिण भारत के भामाशाह श्री एम. के. जैन चैन्नई का अभिनंदन अरिहंतगिरि जैन मठ के द्वारा किया गया ।


3 मई को पूज्य स्वामीजी का 74वां जन्मदिवस मनाया स्वर्गस्थ परम पूज्य जगदगुरु कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ती भट्टारक महास्वामी का 74 जन्म दिवस के अवसर पर युगल मुनिश्री ने उनका गुणानुवाद किया । हुमचा के भट्टारक स्वस्तिश्री डॉ. देवेन्द्र के जीवनवृत्त सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया । भट्टारक चितामणि स्वस्तिश्र तीर्थ के विकास का प्रणेता बताया । सौवामद के स्वस्तिश्री भट्टा रक जी ने भी संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने उन्हें अभूतपूर्व आत्मीय व्यक्तित्व बताते हुए उनके कार्यों, स्नेह को भूतो न भविष्यति निरूपित किया। संगीतकार श्री रुपेश जैन द्वारा बनाया मजन का लोकार्पण किया गया। महोत्सव में देशभर के प्रतिष्टितजन सम्मिलित हुए । भारतवर्षीय दि जैन महासभा का नैतिक अधिवेशन राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रकाशचंदजी बड़जात्या (चेन्नई) ने संपन्न कराया।

महोत्सव के दौरान सुस्वादु भोजन व्यवस्था विनोद चावल (मैसूर) ने संभालव्यंजन परोसे। श्री दिनेश सेठी (चेन्नई), श्री संजय ढोल्या (पाण्डिचेरी), श्री राजेश खन्ना, श्री सुरेश जैन,सत्या जैन, शांतराज रामदास, सतीष जैन, अजित जैन, राजकुमार जैन विजयराज जैन,

पं. वसंत शास्त्री (अतिगिरि) आदि ने भट्टारक चिंतामणि स्वस्ति श्री भट्टारक स्वामी नेतृत्व में आयोजन को मूर्त रूप प्रदान किया ।आयोजन की प्रमुख एवं भगवान के माता-पिता श्रीमती सरिता एम. के. जैन ने समस्त उपस्थित विद्वतगण एवं कार्यकर्ताओं का सम्मान करते हुए सभी का आभार माना


व कहा कि मेरे जीवन का यह अपूर्व अवसर है जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। संपूर्ण भारत की जैन समाज समस्त आचार्य, मुनिराज भट्टारक स्वामीजी त्यागवृन्द, विद्वतगण व समाजजनों का आभार व्यक्त किया।

अरिष्ट जिनभगवान नेमिनाथ की अति प्राचीन प्रतिमा छोटी सी पहाड़ों पर स्थापित है। यहां पर 2000 वर्ष प्राचीन मंदिर व प्रतिमाएं स्थापित है, यह तीर्थ तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 170 कि.मी. दूर स्थित है। तिरुपति बालाजी से 145 कि.मी. दूर मुख्य मार्ग पर स्थित है। यह समस्त प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है ।


राजेन्द्र जैन 'महावीर"

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