"भीड़ भरी सड़क पर

 "मुक्तक "


"भीड़ भरी सड़क पर 

बिल्डिंग के संजाल में होंगे

 दो कमरे हमारे भी 

वह देखती है हर सुबह 

यह ख्वाब 

उसकी नींद टूटती है 

पड़ोसी के चिल्लाने से

 जो है उसका मालिक मकान ।।


"सूद में गए दिन 

दिन गुजरने पर पता चला 

एक और "सूद " चुका दिया 

दिन-दिन गिन कर आखिर

 कितना सूद बाकी है?

 तिल -तिल जी कर भी 

नहीं मिल पाएगी 

सूद और मूल से मुक्ति ।।"


"दोस्त ने देखा था एक सपना

 जिसमें था एक घर अपना 

जहां थी बच्चों की भरमार

 अपनों का प्यार 

थे अपने भी दो -चार यार 

लेकिन कब होगा सपना पूरा

 दोस्त भी कहेंगे 

जिसे घर अपना !"

 श्रीमती राजकुमारी वी. अग्रवाल शुजालपुर मंडी मध्य प्रदेश

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