लघुकथा
"सुखी परिवार का रहस्य "
"जापान में" यामातो "नामक एक सम्राट हुए। उनका एक पूर्व मंत्री था जिसका नाम " ओ सो सान"था !
इस मंत्री का परिवार बहुत बड़ा था ।उसके घर पर परिवार की "पांच पीढ़ियों "में कोई "1000" सदस्य थे !"सान" के परिवार की खूबी यह थी कि परिवार के लोग एक ही छत के नीचे , एक साथ रहते थे । वे मिलजुल कर सारे काम निपटाते और सब के सुख- दु:ख में भागीदार बनते! परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई मुसीबत आए तो सभी एकजुट रहते हुए उसका निदान करते हैं! इस परिवार की ख्याती पूरे देश में थी ।
सम्राट ने एक दिन सोचा कि इस परिवार की इतनी ख्याति है,तो क्यों ना इस कारण से जाना जाए। ऐसा सोचकर वह अपने एक मंत्री के साथ "सान" के घर जा पहुंचे! उस समय तक सान बहुत बुजूर्ग हो चुके थे ।
जब उन्होंने "सम्राट" को अपने घर मे देखा तो उनका यथोचित सत्कार किया और कक्ष में बैठाया।
सम्राट ने "सान" से पूछा --आपके परिवार की एकता और सौहार्द की कहानियां बहुत सुनी है ?मैं जानना चाहता हूं कि इतने बड़े परिवार में यह सब कैसे संभव हो सकता है ?
कमजोर अवस्था के कारण "सान"कुछ बोल नहीं पाये।उसने अपने "प्रपुत्र "को इशारा कर कागज कलम मंगवाई!
प्रपुत्र उसकी बताई चीजें ले आया ।"सान "ने कागज पर कुछ लिखने की कोशिश की मगर उसके हाथ कांप रहे थे उसकी वजह से करम नीच गिर गई ।उसने कलम उठाई और कागज पर कांपते हुए हाथों से 3 बार लिखा "सहनशीलता -सहनशीलता -सहनशीलता" सम्राट में जब कागज पड़ा तो "चमत्कृत" रह गया।
इसके बाद "सान" ने बुल- बुलाते हुए कहा - यदि "सहनशीलता "का "मंत्र" हमारे पास हो और नीत्य इस मंत्र का जाप किया जाए ,तो एक "परिवार "क्या पूरा "राष्ट्र," कहे तो पूरा "विश्व "इसी तरह
" प्रेम "से रह सकता है!
आप भी तो एक परिवार की तरह ही है
यह सुनकर सम्राट को अपनी जिज्ञासा का समाधान मिल गया।"
श्रीमती राजकुमारी वी.अग्रवाल शुजालपुर मंडी मध्य प्रदेश
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