बढ़ते संबंध विच्छेद कारण निवारण

 बढ़ते संबंध विच्छेद कारण निवारण

शादी एक पवित्र बन्धन है जो केवल दो लोगों को ही एक बंधन में नहीं बाँधता बल्कि दो परिवार को  एक कर देता है। शादी में तो एक रस्म भी है 'मिलनी'। जब दूल्हा घोड़ी पर बैठकर दुल्हन से शादी करने के लिए आता है तो दरवाजे पर सबसे पहले मिलनी की रस्म होती है जिसने मामा, चाचा, भाई हर रिश्तेदार एक दूसरे को तिलक करके गले मिलते हैं। इस तरह से कई रिश्ते नए बनते हैं और जीवनपर्यंत निभाए जाते हैं।

लेकिन आज समय बदल गया है आज जो मुख्य पति पत्नी का रिश्ता होता है उसमे भी विच्छेद होने लगे हैं। जिस रिश्ते को हम सात जन्मों का रिश्ता कहते थे कभी-कभी वह 7 दिन, 7 महीने भी नहीं चल पाते हैं।

आज की युवा पीढ़ी उच्च शिक्षा के साथ, जीवन की मूलभूत शिक्षा रिश्तों को निभाना, सहनशीलता, सीख ही नहीं पाते हैं और रिश्ते बनने से पहले ही टूटकर बिखर जाते हैं। कभी-कभी सगाई से पहले बहुत अधिक दिखावा किया जाता है और शादी होने के बाद दोनों परिवार के बारे में सच्चाई का पता चलता है तो मनमुटाव शुरू हो जाता है।कई बार लड़की के घरवालों का अनावश्यक हस्तक्षेप भी तलाक का कारण बन जाता है।

पति और पत्नी दोनों का जॉब करना और कमाना लेकिन घर का कार्य फिर भी पत्नी ही करें, इस विचार के कारण भी कल कई बार संबंधविच्छेद की नौबत आ जाती है।जहाँ प्रश्न होता है वहाँ उसके जवाब भी होते हैं। जहाॅं कारण होता है वहीं समाधान भी होता है।

पहले के समय में तो दोनों परिवार ऐसी परिस्थिति हो तो एक साथ बैठकर इस समस्या का समाधान निकाल लेते थे लेकिन आज समय बदल गया और बच्चे ही बड़ों की बात नहीं सुन रहे हैं तो समस्या का समाधान कैसे निकलेगा।

बच्चों को समझाना पड़ेगा परिवार का महत्व क्या है, रिश्तो का महत्व क्या है, रिश्ते निभाने के लिए किस तरह से एक दूसरे को त्याग करना पड़ता है। लड़की के परिवार वाले को लड़कों के परिवार में जो अनावश्यक हस्तक्षेप होता है उसको कम करना चाहिए।

लड़के को भी पुरुषवादी मनोवृत्ति से निकलकर गृहकार्य में पत्नी का सहयोग देना चाहिए।

आज की पीढ़ी पहले काम पर और फिर घर आकर भी अपना अधिकतर समय सोशल मीडिया पर और मोबाइल, लैपटॉप में देते हैं। पति पत्नी दोनों एक दूसरे को समझने के लिए समय ही नहीं देते हैं। जब समय ही नहीं देंगे तो हर छोटी बात पर झगड़ा होना निश्चित ही है।

इसलिए पति पत्नी दोनों को चाहिए कि वह एक दूसरे को समय दें और एक दूसरे को समझे।बचपन से ही यदि बच्चों में परिवार और रिश्तो को खुलकर जीने का वातावरण दिया जाएगा तो वही बच्चे बड़े होकर रिश्तो की गरिमा को समझेंगे और किस तरह से रिश्तो को निभाना है यदि यह सीख पाए तो संबंध विच्छेद समस्या खड़ी नहीं होगी।

दोनों ही परिवार के माता-पिता को भी समझना होगा कि समय बदल रहा है और उनकी सोच के अनुसार अपनी सोच में परिवर्तन करना होगा।

कई बार ससुराल में कड़े नियम होते हैं पहनावे और रहन-सहन में। उसके लिए परिवार के बड़ों को थोड़ा विचार में परिवर्तन लाना होगा और समय के दौर के अनुसार स्वयं को बदलना होगा।समस्या की जड़ तक हम पहुँच जाएं इसका समाधान भी अवश्य मिल जाएगा।

इसके लिए सबसे पहले तो पति और पत्नी दोनों को ही समझना होगा कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं होता है और हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ कमी और खूबियां होती है उन कमियों और खूबियों को एक साथ समझते हुए ही जीवन आगे बढ़ा जाता है।

छोटी-छोटी बातों का समाधान तो बातचीत करके भी निकाला जा सकता है उसके लिए कोर्ट कचहरी में जाने की कहाँ जरूरत है।

एक दूसरे के लिए समर्पण, एक दूसरे को समझना, एक दूसरे के साथ समय बिताना, एक दूसरे के विचारों का आदर करना, एक दूसरे की परिस्थिति समझना और अत्यधिक गुस्से में कोई भी निर्णय नहीं लेना, मेडिटेशन नियमित रूप से करना, समय और काम में संतुलन बना कर रखना, एक दूसरे के परिवार के सदस्यों का आदर करना, समय-समय पर अवकाश लेकर एक दूसरे के साथ समय बिताना, ऐसी छोटी छोटी बातें अपनाकर भी यह समस्या कम हो सकती है।


शशि लाहोटी, कोलकाता

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular