अपने मूल के प्रति उच्च भाव रखें


अपने मूल के प्रति उच्च भाव रखें


हम में से अनेक गोत्र वर्षों या यूँ कहें कि सदियों पूर्व राजपूत, जाट, यादव, ब्राह्मण आदि से आये, जिन्होंने बड़े अहोभाव से जैन जीवन की पद्धति को अपनाया। जो राजपूतों से जैन बने, उन्हें आज भी गर्व है कि हम राजपूत थे व उन्हें अपने राजपूत होने के प्रति आज भी आदर का भाव है। वैसे ही अन्य जातियों से आये लोगों में अपने-अपने मूल वंशजों के प्रति गर्व व आदर का भाव विद्यमान है। 

हमें अपने मूल पूर्वजों के प्रति द्वेष व अनादर का नहीं वरन् श्रद्धा व आदर का भाव रखना चाहिए। 

स्थानकवासी व तेरापंथ के अनुयायियों को मूर्तिपूजक संघ से रत्ती भर भी दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए। अपने पूर्वजों के प्रति गर्व व आदर का भाव रखना हमारी संस्कृति है। हमारे अस्तित्व के जो मूल हैं, उनके प्रति सदैव हमें उच्च भाव रखना चाहिए। 

हमारे स्थानकवासी तथा तेरापंथी संतों को भी मूर्तिपूजक संतों के प्रति गर्व व आदर भाव रखना चाहिए। जैन धर्म तथा संस्कारों में किसी के प्रति घृणा, वैमनस्य अथवा दुर्भावना आदि रखने का निषेध है तथा अनजान में भी हो जाये तो उसका स्मरण कर क्षमायाचना करना नित्यकरणीय कार्य है।

हमारे स्थानकवासी संतों को भी मूर्तिपूजक संतों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए। कारण, उनके गुरू ने उन्हीं से पृथक होकर अपनी नई विचारधारा को अंगीकार किया था। वैसे ही तेरापंथ के संतों को भी स्थानकवासी व मूर्तिपूजक संतों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए। उनके पास जो भी शास्त्र व ज्ञान है, मूल में तो मूर्तिपूजक संघ की देन है, अतः उनके प्रति कृतज्ञता के भाव तो अवश्य रखने ही चाहिए। जैन दर्शन में अनेकान्तवाद के सिद्धांत के अनुसार अंशतः सत्य को पूर्ण सत्य मानने से हठधर्मिता और विद्वेष का जन्म होता है, जो त्याज्य है।

कुछ सिद्धांतों अथवा आचार पद्धति में मतभेदों से नये संप्रदायों का जन्म हुआ, परन्तु इससे मनभेद नहीं होना चाहिए। जैन समाज में समरसता और एकजुटता के लिए यह अत्यावश्यक है। 

एक गृहस्थ को अपने पिता, पितामह, प्रपितामह ही नहीं दस पीढ़ी सौ पीढ़ी ही नहीं हजारवीं पीढ़ी से पूर्व की पीढ़ियों के प्रति कभी घृणा या अनादर का भाव नहीं आता, वरन् आदर व गर्व का भाव ही रहता है। अतः हमें अपने मूल को नहीं भूलना चाहिए एवं उसके प्रति अहोभाव तथा गर्व का भाव विद्यमान रखना चाहिए।

ललित कुमार नाहटा 

 सम्पादकीय- स्थूलिभद्र संदेश


मई 2023

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