प्रेम गीत लिखो मीत

  

प्रेम गीत लिखो मीत  , कहें सभी उसे प्रीत , यही रीत है पुनीत , बनना तुम साया  l

लोग सभी देख रहे , नहीं कभी भेद कहें ,  प्रेम गंग सदा बहे, मिली हमें काया  l l

कृष्ण सदा चित्त चोर , बाँध रहे मुझे डोर , नाच रहे देख मोर , मन को है भाया  l

देख चले है बयार , झूम रहा तार  - तार , पावन है देख प्यार , कान्हा की माया  l l


प्रेम गीत लिखो मीत , करो हाथ तभी पीत , सभी कहें यह पुनीत , प्रभु जी की माया  l

करो नहीं कभी तंग , चलो सदा आप संग , रहो बने एक अंग , बनी रहे छाया  l l

सखियों से हुई जंग , देख रहे सभी दंग , बिगड़ रहे आज ढंग , मन भी तर साया  l

तुमसे ही प्यार मुझे , ढूँढ रही देख तुझे , लगे आज बुझे - बुझे , सावन है आया  l l

डॉ. राजेश कुमार जैन 

श्रीनगर गढ़वाल 

उत्तराखंड


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