एकाकार



'मैं मृत्यु हूँ। तुम मेरी प्रतीक्षा का अंतिम विराम हो। मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ पर तुम्हें मरा हुआ नहीं देख सकती..,' जीवन के प्रति मोहित मृत्यु ने कहा।


'मैं जीवन हूँ। तुम ही मेरा अंतिम विश्राम हो।  तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा क्योंकि मैं तुम्हें हारा हुआ नहीं देख सकता..', मृत्यु के प्रति आकर्षित जीवन ने उत्तर दिया।


समय ने देखा जीवन का मृत होना, समय ने देखा मृत्यु का जी उठना, समय ने देखा एकाकार का साकार होना।


संजय भारद्वाज


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