डूब कर देखिये मुहब्बत में

 डूब कर देखिये मुहब्बत में 

काम आएगी यह मुसीबत में 


जान कर वो नज़र झुकाते हैं 

यह भी करते हैं वो नज़ाकत में 


दिल तो कहता है देख लूं उनको

आँख उठती नहीं नफासत में 


आग अपने भी दिल में लगती है 

मुँह नहीं खोलते शराफत में 


झूठी बातें हैं सबके होठों पर

काम कुछ कीजिए हिफाज़त में 


'श्याम' तुम हो कहां बताओ तो

लुट गए हम यहाँ हकीकत में 


श्याम मठपाल ,उदयपुर

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