ज्ञ की महिमा


कमलेश "कमल"


'ज्ञ' का अर्थ है– जाननेवाला। सर्वज्ञ सब कुछ जानता है, तत्त्वज्ञ 'तत्त्व' अथवा सार को जानता है, मर्मज्ञ मर्म को जानता है, अल्पज्ञ अल्प अथवा थोड़ा जानता है, बहुज्ञ बहुत जानता है, विशेषज्ञ विशेष(किसी विषय के बारे में) जानता है, शास्त्रज्ञ शास्त्रों के बारे में जानता है, रसज्ञ रस के बारे में जानता है और देवज्ञ देवताओं के बारे में जानता है। विज्ञ का अर्थ है–  विशेष रूप से जानने वाला क्योंकि 'वि' उपसर्ग 'विशेष' का अर्थ देता है। चूँकि 'अ' उपसर्ग का अर्थ है– नहीं, इसलिए 'अज्ञ' का अर्थ हुआ– जो नहीं जानता है।


हम जानते हैं कि वर्णमाला में यह 'ज्ञ' एक संयुक्ताक्षर है, जो बनता है– ज् और ञ के मेल से।  महत्त्वपूर्ण यह है कि विशेषण के रूप में यह जानने वाला, परिचित आदि का अर्थ देता है। इस स्थिति में इसकी निर्मिति है– [ज्ञा+क = ज्ञ]। ध्यान दें कि विज्ञ, अज्ञ आदि सभी सामासिक पदों में यह शब्द के अंत में जुड़ा है। संस्कृत में 'ज्ञा' का अर्थ है– जानना, सीखना, समझना, पहचानना अथवा परिचित होना। ज्ञा से ही बने ज्ञात(ज्ञा+क्त) का अर्थ होता है– जाना हुआ, सीखा हुआ। इसी 'ज्ञा' से बने 'अभिज्ञा' का अर्थ होता है– जानना, पहचानना आदि, जबकि 'अनुज्ञा' का अर्थ होता है– अनुमति अथवा स्वीकृति देना।


अब हम दो शब्द अभिज्ञ और अनभिज्ञ को देखते हैं: कुछ लोग अभिज्ञ और अनभिज्ञ को भिज्ञ से बना समझते हैं, जबकि 'भिज्ञ' कोई शब्द नहीं है। अभिज्ञ 'अनभिज्ञ' का विलोम है। अभिज्ञ शब्द में 'ज्ञ' से पूर्व 'अभि' उपसर्ग है। 'अभि' का अर्थ है– की ओर, की दिशा में, के लिए, अधिकता से, रखने वाला आदि। इस प्रकार 'अभिज्ञ' का अर्थ है– ज्ञान रखने वाला, ज्ञान की ओर मुड़ा हुआ, ज्ञान की प्रधानता वाला। अनभिज्ञ शब्द को देखें– [अन् + अभिज्ञ = अनभिज्ञ]। 'अन्' उपसर्ग का अर्थ होता है– नहीं। इस प्रकार, अनभिज्ञ शब्द का अर्थ हुआ– जो अभिज्ञ नहीं है। दूसरे शब्दों में– जिसे ज्ञात नहीं है या किसी विशेष संदर्भ में जानकारी नहीं है, वह अनभिज्ञ। उदाहरण– "मैं कहीं बाहर था, इसलिए इस बीच क्या घटित हुआ, उससे अनभिज्ञ हूँ।" ध्यातव्य है कि कोई एक विषय का विज्ञ और किसी अन्य विषय में अज्ञ हो सकता है अथवा उससे सर्वथा अनभिज्ञ भी हो सकता है।



No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular