लघु कथा"

 लघु कथा"

" कमली अपनी 1० वर्षीय बेटी रमा के साथ रहती थी। आस-पास के घरों का काम करके अपना जीवन यापन करत़ी ।

रमा को पढ़ने स्कूल भेजती। कमली हमेशा रमा को समझाती थी ,कि बेटा बस तुम पढ़ -लिखकर कुछ बन जाओ! रमा भी मां का काम में सहयोग करती व पढ़ाई में अव्वल रहती । 

कमली की मालकिन " रेखा जी"व बेटी पुरवा भी ़रमा से कहती तुमको पढ़ने में यदि कोई सहारा चाहिए तो हम तुम्हें सहयोग कर सकते हैं । 

पूर्वा व रेखा जी सदा ही रमा व कमली का कपड़ों से, पैसे से, पढाई मेसहयोग करती रहती थी । 

     पुरवा की मदद से रमा में कॉलेज की पढ़ाई अव्वल नंबर से पास कर ली और एक स्कूल में पढ़ाने लगी। साथ -ही -साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करती रही! 

कमली का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। रमा ने कमली को काम करना करवाना बंद कर दिया।    

      प्रतियोगी परीक्षा में रमा अव्वल रही व "कलेक्टर "बन गई! आज रमा को सरकार की तरफ से गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाना था! जब मंच पर रमा का नाम पुकारा गया तब रमा ने कमली के साथ ही रेखा जी व  पूर्वा को भी मंच पर बुलाया और कहा कि--

 यदि  आज मै राज्य सम्मान में पहुंची हु ,तो इस सम्मान का श्रेय में अपनी मां की मेहनत व रेखा जी और पुरवा के सहारे को ही देती हूं ।।

डा श्रीमती  राजकुमारी वी.अग्रवाल शुजालपुर मंडी मध्य प्रदेश

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