मित्रता

 

मित्रता उसका नाम है , जहाँ नहीं  है तोल। 

कटुता मन से दूर हो , मीठे जिसमें बोल।। 


साथी सुख दुख का रहे , आये हरदम काम। 

अपने मुँह से ना कहे , गौण रहे बस नाम।। 


झूठ नहीं वो बोलता ,चाहे जो परिणाम। 

स्वारथ मन में कुछ नहीं , माँगे ना कुछ दाम।। 


भूले मित्र को वो नहीं ,करे सदा ही बात। 

साथ सदा ही हो खड़ा , करे नहीं आघात।। 


चाहे जैसी बात हो , करे नहीं बदनाम। 

खुलकर अपनी राय दे , हाथों को ले थाम।। 


अहम कभी पाले नहीं , देता है सम्मान। 

साथी राहों का बने ,देखे नहीं मकान।। 


श्याम मठपाल ,उदयपुर

No comments:

Post a Comment

Featured Post

महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न

उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular