तब आएंगे राम



  -डॉ.शिशुपाल


मर्यादा पुरुषोत्तम पावन,

अच्छाई के ग्राम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

     

बनो राम से आज्ञा पालक,

लक्ष्मण जैसे भ्रात।

रखो भरत सम भाईचारा,

तब जीवन सौगात।।

     

हनुमत जैसे बनो सहायक,

सबके आओ काम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

      वचनबद्धता हो हम सब में,

सबरी-सा अनुराग।

सिद्धांतों पर अडिग रहें हम

जीवन में हो त्याग।।


मीठा-मीठा बोलो प्यारे!

नहीं लगे कुछ दाम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

     

ऊँच-नीच का भेद भुलाकर,

करें सभी से प्यार।

लाचारों के हित में सबका,

सदा खुला हो द्वार।।


परहित पथ पर बढ़ते जाएँ,

कभी नहीं हो शाम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

     मान करें हम सदा बड़ों का,

रहें नशे से दूर।

महिलाएँ सब आदर पाएँ

ख़ुशियाँ हो भरपूर।।


सबके ही आदर्श बनें हम,

सद्कर्मों के धाम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

      

कर्त्तव्यों के पालन में हम,

हों सबके सरताज।

शिक्षा के पंखों से उड़कर,

सतत संवारें आज।।


करें भला लाचारों का हम,

बिना बताए नाम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

  

भाईचारा-प्रेम सभी का,

बाधाओं की ढाल।

सामाजिक समरसता सब में

बनी रहे 'शिशुपाल'।।


राम राज हर घर में हो अब,

सब कुछ हो अभिराम।

मर्यादित व्यवहार रहे प्रिय!

तब आएंगे राम।।

संगरिया, हनुमानगढ़, (राजस्थान)


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