एहसास
आज अलसुबह ही वर्षों पूर्व खाए गोलगप्पे का स्वाद याद आ गया।
बचपन से ही वह गोलगप्पे खूब चाव से खाती थी ।
उम्र बढ़ जाने के कारण ऐसी चीज खाने से डॉक्टर मना करते हैं।
इस मन का क्या करें?
बड़ी बेचैनी हो रही है।
खुद जाकर ठेले पर गोलगप्पे कैसे खाऊं?
पता नहीं बेटा कैसे रिएक्ट करेगा? प्रयत्न करने पर भी अब नींद नहीं आ रही थी।
सुबह बेटा रोज की तरह ऑफिस जाने पूर्व मेरे कमरे में आया।
मुझे उदास देखकर पूछ बैठा
मां क्या बात है ?
आज आप उदास लग रहे हो?
किसी ने कुछ कहा?
पापा की याद आ रही है ?
मैं अपनी दुविधा क्या बताती ?
मेरी गोलगप्पे खाने की इच्छा पर वह नाराज होगा ? हंसेगा?
या फिर इस उम्र में गोलगप्पे खाने के नुकसान गिना दे तो।
मैंने चुप रहना ही उचित समझा।
पर वह मेरा पीछा कहां छोड़ने वाला था।
बात को हल्का करने मैंने कहा
कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही श्याम चाटवाले के गोलगप्पे याद आ गए।
कितना स्वादिष्ट बनता था।
तेरे पापा और मैं हर रविवार को जाते थे खाने।
बरसबस सच्ची बात मुंह से निकल गई।
अरे मां पहले क्यों नहीं बताया?
मैं आज शाम को चाटवाले को घर आने बोल देता हूं।
आप खा लेना ।
अलसुबह से चली आ रही मेरी कशमकश इतनी सरलता से समाप्त हो जाएगी ,सोचा ही नहीं था।
बड़े इंतजार के बाद 4:00 बजे चाटवाले ने आवाज लगायी।
मैं प्रसन्नता से दरवाजे पर आ गई ,
चाटवाला
बोला अम्मा जी मसाला हल्का रखूं या तेज ?
मैंने कहा थोड़ा तेज।
वह मसाला बनाने लगा
इतने मे ,मैं 35 वर्ष पहले के अतीत मे पहुंच गई।
वृद्धावस्था में मेरी सासू मां ने आलू पूरी खाने की इच्छा प्रकट की थी।
उन्हें तला भुना बहुत नुकसान करता था।
डॉक्टर की सलाह मानकर तला खिलाना बंद कर दिया था ।
मैंने कहा लीची, आम लाई हूं अम्मा जी उन्हें खाओ ना पूरी आपको नुकसान करेगी।
अम्मा जी मायूस हो गयी ।
अब कितना जीना है चल जैसे तेरी मर्जी।
2 महीने में ही अम्मा जी चली गई ।
उनके श्राद्ध पर घर में आलू पुरी जरूर बनती है कौवे को जरूर खिलाते हैं ।जीते जी उनकी इच्छा पूरी न करने का मलाल हमेशा रहता है।आज मेरा बेटा भी यदि डॉक्टर की सलाह बता कर मुझे गोलगप्पे खाने से मना कर देता तो?
मेरी आंखों से झर झर आंसू टपक रहे थे हाथ में गोलगप्पा लिए चाट वाला मुझे टुकुर टुकुर देख रहा था।
अपराजिता शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़
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