कारगिल के योद्धा मतवाले
भारत माता के रखवाले
मर मिटे जो आन की खातिर
खदेड़ दिये जितने थे शातिर
लहू का क़तरा जिनका एक,
देश - प्रेम की आहुति ।
जन-गण-मन सारा जहान जो,
कर रहा है स्तुति ।।
जिनकी शान में उठा तिरंगा
उमड़ उठी हैं यमुना-गंगा
किया जिन्होंने जीवन स्वाह
आज वही इतिहास गवाह
शौर्य-अदम्य वीरता जिनकी ,
बने वही थे बल्लभ -भाले ।
टूट पड़े वो जी-जान पर,
कारगिल के योद्धा मतवाले ।।
# बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज",
कोटा (राजस्थान)
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