सुमिरन करें गणेश का,
पहल नयी अब करनी होगी ।
नव ऊर्जा से करें कर्म तो,
दिशा नयी अब देनी होगी ।।
चयन करें निज लक्ष्य का,
मार्ग हमें है अपनाना ।
रौंद चलें कांटों को जितने भी ,
हैं उनको दफ़नाना ।।
निर्माण करें नूतन भविष्य का,
युग स्वर्णिम बन उभरेगा ।
वर्तमान यदि हम सँवारें,
भविष्य स्वतः ही सँवरेगा ।।
हमको ही राहें अपनी जो,
स्वयं सुनिश्चित करनी होगी ।
नव ऊर्जा से करें कर्म तो,
दिशा नयी अब देनी होगी ।।
# स्वरचित/मौलिक/सर्वाधिकार सुरक्षित
# बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज",
कोटा (राजस्थान)
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