कठपुतली
ओहो मम्मी,तुम क्या करोगी इंस्टा अकाउंट खोलकर ! सवि ने अपनी माँ को लगभग चिल्लाते हुए जवाब दिया।
वर्तमान युवा होती पीढ़ी की यही परेशानी है कि उन्हें अपने आगे सभी लोग पिछड़े हुए लगते हैं ।
रजनी कई दिनों से बेटा - बेटी को देख रही थी । दोनों में बस साल भर का अंतर था । सोलह और सत्रह साल के ही थे । लेकिन व्यवहार ऐसा जैसे किसी और ही ग्रह से आये हों ।सारा दिन बस फ़ोन या टेबलेट हाथ में रहता । बेटी सारा दिन सीसे के सामने मेकअप लगाकर नाचती सी रहती, और बेटा हर वक़्त लैपटॉप या फ़ोन पर गेम खेलता रहता ।
पति काम के चक्कर में अक्सर बाहर ही रहते । दो बच्चों के साथ रजनी सब कुछ सम्भालती हुई हर वक़्त परेशान सी रहती । बच्चों से कुछ कहती तो जवाब मिलता, अरे मम्मी तुम्हें कुछ नहीं पता ।बस हर वक़्त पढ़ाई और काम के पीछे पड़ी रहती हो । बेटी तो उसे अपने मौलिक अधिकार भी गिनाने लग जाती ।
अभी कल ही उसे पड़ोस वाले गुप्ता जी ने बताया था कि आपकी लड़की के तो बहुत फॉलोवर हैं इंस्टा पर काफ़ी फ़ेमस है बिटिया सोशल मीडिया पर !
रजनी को समझ नहीं आया था,कि क्या जवाब दे । उसका तो दूर दूर तक सोशल मीडिया से कोई लेना देना नहीं था । लेकिन गुप्ता जी की कुटिल मुस्कान उसे चुभने लगी थी ।
इसलिए घर आते ही उसने बेटी सवि को अपना अकाउंट खोलने के लिए कहा था, लेकिन बेटी ने झल्लाकर साफ़ मना कर दिया ।
रजनी ने सोचा बेटे से बोलकर अकाउंट खुलवा लेगी।
बेटे के पास अपनी इच्छा लेकर जा ही रही थी कि सोफ़े पर लेटकर पकड़े हुए फ़ोन पर देखा, बेटा किसी लड़की से बात कर रहा था ,जिसने ना के बराबर कपड़े पहने हुए थे । रजनी को देख बेटा थोड़ा सकपका गया । लेकिन रजनी उस से कुछ कहती, वो ख़ुद रजनी से बोल पड़ा ।
मम्मी , तुम ना फेसबुक जॉइन कर लो । ये इंस्टाग्राम है ना तुम्हारे मतलब का नहीं है । तुम्हारी उम्र वालों के लिए एफबी बेस्ट है । आओ बैठो मैं तुम्हारा अकाउंट बना देता हूँ, और अकाउंट बन गया।
सब बहुत आसान था, बेटे ने समझा दिया अच्छे से ।
धीरे- धीरे रजनी भी फेसबुक चलाना सीख गई । अब गुप्ता जी ही नहीं बल्कि आसपास के और भी लोग उसकी फ्रेंड लिस्ट में जुड़ गये थे ।
धीरे-धीरे उसे भी हर वक़्त फ़ोन हाथ में लेकर रहने की आदत पड़ गई । हर वक़्त नोटिफिकेशन बजता ही रहता । कहाँ तो उसने सोचा था कि इंस्टाग्राम पर जाकर बच्चों को देखेगी कि क्या करते रहते हैं । फिर उन्हें सही ग़लत समझा कर फ़ोन पर कम रहने के लिए प्रोत्साहित करेगी,पढ़ाई की अहमियत समझायेगी पर यहाँ तो स्वयं ही सोशल मीडिया के हाथों की कठपुतली बन कर रह गई ।
मंजु तिवारी कुमार
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