नारी

या देवी सर्वभूतेषु , शक्ति रूपेण संस्थिता ,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमो नमः।।


सारे संसार का सार है नारी,                                 प्रकृति के हर प्राणी का अभिमान है नारी,


मंदिर में बजता शंखनाद है नारी ,                            इंसान के सर्वस्व और संस्कारों की पहचान है नारी,


कभी दुर्गा तो कभी काली है नारी,

कभी करुणा तो कभी अन्नपूर्णा है नारी,


जब पिता थककर घर आए,

तो माँ बन मातृत्व का अहसास दिलाती बेटी का रूप है नारी,


अपने भाई की खुशियों की हर पल दुआ करती,

ऐसी भाई की कलाई पर बँधा रक्षा-सूत्र, बहन का रूप है नारी,


जब बात पति के प्राणों पर आ जाए, 

तो यम के सामने अटल खड़ी सती का रूप है नारी,

 

अपने बच्चों के लिए जो मौत से भी लड़ जाए,

ऐसी महान वीरांगना माँ का रूप है नारी,


आज समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय है नारी,

पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है नारी,

 

इस धरा की तो क्या बात करूँ मैं , 

अंतरिक्ष में भी परचम लहरा दिया जिसने, इस धरती पर ऐसा चमत्कार है नारी ।


भगवान भी जिसके आगे नतमस्तक हो जाएँ,

ईश्वर की ऐसी अप्रतिम रचना है नारी ।।


धन्यवाद ,

शीतल गुप्ता

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