श्रम का सौन्दर्य

 

मेहनत का रंग भी होता अजीब है

बिना किसी मेकअप के

बिना किसी फेशियल के

चेहरा खूब  चमकता है ...... 

न तो कोई काजल की जरूरत है

न तो किसी लाली की

मेहनत के रंग के सामने

हर रंग फीका होता  है...... 

चेहरे पर स्वाभिमान का

एक अलग ही तेज चमकता है

जो खुद के पैरों पर खड़ा होता है

उसमें एक अलग ही अकड़ होता है....... 

दुनिया को अपनी मुट्ठी में

रखने की ताकत वह रखता है

उसके कदमों तले

ये सारा जहाँ होता है....... 

अपने  ही मेहनत से भगीरथ ने

माँ  गंगा को पृथ्वी पर  लाया था

समुद्र मंथन करके इंसान ने

सागर से अमृत निकाला था....... 

---- ओमप्रकाश पाण्डेय


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