*एक कविता ईश्वर के लिए *

 

कितना मुश्किल रहा होगा तुम्हारा ईश्वर होना 

कि बड़े इम्तहान तुमने भी दिए 

इतनी कठिन परीक्षा कभी न हुई किसी की

देखे बुरे दिन 

कि पिता का तर्पण भी अधूरा रहा


ईश्वर होना तुम्हारा लक्ष्य तो रहा नहीं होगा

किन्तु जब साधा प्रेम,दया, न्याय और सत्य का मार्ग 

कि अहिंसा और धर्म के गढ़े होंगें अर्थ 

तुमने  मुस्कुराया होगा सबसे पहले 

कि प्रेमगीत गाया होगा पहली बार 


ईश्वर होना कितना कठिन रहा होगा 

सचमुच , बड़ा ही अजूबा हुआ होगा

जब पहले -पहल

किसी ने पुकारा होगा तुम्हें ईश्वर कहकर ।


- डॉ. राजेश श्रीवास्तव

, भोपाल


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