रोज की तरह कलुआ शराब के नशे में धुत होकर घर आया और आते ही अपनी पत्नी रमिया को गालियाँ देते हुए मारना शुरू कर दिया। उनकी तीन वर्षीया बिटिया डरकर रोने लगी। रमिया अपनी बिटिया के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कलुआ से रोज-रोज मार सहन करती थी। लेकिन आज एक विचार उसके दिमाग में बिजली की तरह कौंध गया, "वह अपनी बिटिया को क्या संस्कार दे रही है? बड़ी होकर अगर बिटिया का पति भी उसके साथ ऐसा ही सलूक करें तो क्या वह भी बिना किसी गलती के ऐसे ही चुप रहकर हिंसा सहन करते हुए अपनी जिंदगी गुजार दे?"
यह सोचकर ही मातृत्व से ओतप्रोत उसका ह्रदय चीत्कार कर उठा, "नहीं... नहीं... उसकी बिटिया ये सब नहीं सहेगी। वह अपनी बिटिया को प्रतिकार करना सिखाएगी। गलत का विरोध करना सिखाएगी।"
उसकी फूल सी बच्ची पर कोई हाथ उठाए, यह सोचकर ही उसका हृदय काँप उठा। सोचते-सोचते अचानक रमिया में न जाने कैसे, चण्डी की आत्मा ने प्रवेश कर लिया। उसने पास पड़ा लकड़ी का डंडा उठाकर अपने पति पर वार करना शुरू कर दिया। दो-चार डंडे खाते ही नशे में धुत उसका पति जमीन पर औंधे मुँह गिर पड़ा और माफ़ी माँगने लगा।
तभी उसे अपनी बिटिया की किलकारी सुनाई दी। मुड़ कर देखा तो बिटिया ताली बजाकर हँस रही थी। मानो उसे शाबाशी दे रही हो। शायद उस नन्हीं बच्ची को भी सही-गलत का भान था। रमिया को महसूस होने लगा मानो उसने अपनी बिटिया का भविष्य सुरक्षित कर दिया हो।
नमिता सिंह 'आराधना'
अहमदाबाद
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